लाइफ़स्टाइल डेस्क। मृगशिरा नक्षत्र वृषभ व मिथुन राशि में समाविष्ट है। इस नक्षत्र में जन्में लोग सौम्य और आकर्षक प्रकृति के होते हैं। साथ ही हमेशा ज्ञान की खोज करते रहते हैं। इन जातकों को कार्य का अत्यधिक बोझ लेने बचना चाहिए। इससे इनका मन अशांत हो सकता है। मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। यही वजह है कि इन जातकों पर मंगल का सीधा प्रभाव देखने को मिलता है। तो चलिए ज्योतिषाचार्य दयानंद शास्त्री से जानते हैं कि इस नक्षत्र के लोग स्वभाव में कैसे होते हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। इस नक्षत्र के सोमा और लिंग स्री है। इन जातकों को सबसे अधिक जिज्ञासु माना गया है। साथ ही इनमें उत्तम हास्यवृत्ति होती है। यह नक्षत्र विविधता से संबंध रखता है। ये जातक जीवन के वास्तविक उद्देश्य को खोजने के लिए अलग-अलग अनुभवों से गुजरते हैं। मृगशिरा नक्षत्र के जातक स्वभाव से चतुर एवं चंचल होते हैं। इन्हें सफेद रंग बेहद प्रिय होता है। इनका चेहरा बहुत ही आकर्षक एवं सुन्दर होता है।
इन्हें भ्रमण करना बहुत अच्छा लगात है। इनका ज्यादातर जीवन विलासितापूर्ण एवं ऐश्वर्यशाली होता है। ये आर्थिक रूप से धनि होते हैं। लेकिन धन सोच-समझकर खर्च करते हैं। इसी वजह से ये कंजूस कहलाते हैं। इनकी प्रगति में लगातार बाधाएं आती रहीत हैं। किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले उसके हर पहलू पर अच्छे से सोच-विचार कर लेते हैं। स्वभाव से ये गंभीर और शांत होते हैं। ये जातक क्रोध कम करते हैं। वहीं, अगर गुस्सा हो भी जाएं तो बाद में पश्चाताप भी करते हैं।
इस नक्षत्र में जन्मे लोगों का प्रेम पर अटूट विश्वास होता है। ये स्थाई काम पर ज्यादा भरोसा करते हैं। इसी के चलते ये जातक जो भी काम अपने हाथ में लेते हैं, उसे पूरी मेहनत से पूरा करते हैं। मृगशिरा नक्षत्र के जातक आकर्षक व्यक्तित्व और रूप के स्वामी होते हैं। ये हमेशा से ऊर्जा से भरे रहते हैं क्योंकि इनका स्वामी ग्रह मंगल होता है। वैसे तो इनका दिल साफ होता है लेकिन अगर कोई इनके साथ छल करे तो उन्हें माफ नहीं करते हैं। इनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।