नौतपा (Nautapa) यानी वे 9 दिन जब सूर्य धरती के ज्यादा करीब आ जाते हैं, जिससे गर्मी अधिक पड़ती है। इस साल नौतपा (Nautapa) 22 मई से शुरू हो रहा है। नौतपा (Nautapa) के दौरान प्रचंड गर्मी होती है, जिससे मानसून बनता है। अगर इन 9 दिनों में बारिश होने लगे तो नौतपा (Nautapa) का गलना कहा जाएगा। ऐसा होने पर अच्छी बारिश की संभावना नहीं होती। माना जाता है कि नौतपा अगर गर्मी से खूब तपा तो उस साल अच्छे बारिश होती है। क्योंकि इसकी वजह से समुद्र के जल का तेजी से वाष्पीकरण होता है, जिससे बादल बनते हैं और बारिश करते हैं।
सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में जाने का समय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इसबार सूर्य देव 22 मई, सोमवार को सुबह 8:16 बजे रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। रोहिणी नक्षत्र में गोचर करने के बाद सूर्य 2 जून, शुक्रवार की सुबह 6:40 बजे दूसरे नक्षत्र में प्रवेश करेंगे।
इस तरह इस साल सूर्य ग्रह रोहिणी नक्षत्र में 12 दिन तक ही रहेंगे। बता दें इस साल नौतपा 22 मई से शुरू हो रहा है, जो शुरुआती के 9 दिन तक रहेगा।
नौतपा (Nautapa) में ना करें ये काम
– नौतपा के दौरान तूफान, आंधी आने की आशंका काफी बढ़ जाती है ऐसे में इस दौरान शादी, मुंडन और बाकी मांगलिक कार्यों को करने से बचना चाहिए।
– नौतपा में सूरज की गर्मी से पूरी धरती तपती है। इस दौरान दिन के समय यात्रा करने से बचना चाहिए। ऐसा ना करने से आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
– इस दौरान अधिक मिर्च, मसाले और तेल वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
– नौतपा में मांस, मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए। इससे आपकी सेहत खराब हो सकती है।
– इस महीने खासतौर पर बैंगन नहीं खाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा इस दौरान दिन में सोने से बचना चाहिए।
नौतपा (Nautapa) के दौरान क्या करें
– नौतपा के दौरान हल्का भोजन करना चाहिए जो आसानी से पच जाए।
– इस दौरान पानी का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए ताकि शरीर में पानी की कमी ना हो।
– नौतपा में पक्षियों के लिए किसी मिट्टी के बर्तन में जल भरकर रखना चाहिए। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
– इस दौरान राहगीरों को जल का सेवन कराना चाहिए, इससे सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं।
– शिवलिंग पर जल चढ़ाना भी नौतपा में शुभ माना जाता है।
– इस महीने भगवान हनुमान की पूजा का विशेष महत्व होता है माना जाता है कि ज्येष्ठ के महीने में ही हनुमान जी की मुलाकात भगवान श्रीराम से हुई थी।