दिल्ली की साकेत कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज संदीप गर्ग ने गुरुवार को ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स की बरामदगी के मामले में नवनीत कालरा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने 12 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
नवनीत कालरा की ओर से वरिष्ठ वकील विकास पाहवा ने कहा कि हमें निष्पक्ष ट्रायल मिलना चाहिए क्योंकि आजकल कोर्ट में दोषी साबित होने से पहले सोशल मीडिया में आरोपित को दोषी साबित कर दिया जाता है। नवनीत कालरा को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि एफआईआर में लगाए गए आरोप पूरी तरह से गलत हैं। कालरा के रेस्टोरेंट के मैनेजर और कर्मचारियों को भी बेवजह गिरफ्तार किया गया है। पाहवा ने कहा कि ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर के लिए जीएसटी चुकाया गया और कस्टम से क्लियरेंस भी ली गई। उन्होंने कहा था कि आयात भी कानूनी प्रक्रिया के तहत हुआ और उसे बेचा भी ऐप के जरिये गया, ऐसे में ये ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर अवैध कैसे हो गए। उन्होंने कहा था कि ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर तो पुलिस अफसरों, नेताओं, जजों और कई लोगों ने खरीदे।
पाहवा ने कहा कि पुलिस कह रही है कि ये महंगे दामों पर बेचे गए जबकि केंद्र सरकार ने आज तक ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर को लेकर कोई कीमत तय नहीं की है। कालरा के यहां सत्तर हजार रुपये का ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर था लेकिन बाजार में ये दो लाख तक का बिक रहा है। ऑक्सीजन कंसेट्रेटर की कीमत उसकी क्वालिटी के मुताबिक तय होते हैं। अगर कोई वस्तु आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में लाई जाती है तो उसका रेट तय कर दिया जाता है। अगर कोई भी व्यक्ति सरकार के तय किये गए रेट से ज्यादा वसूलता है तो ये अपराध की श्रेणी में आता है लेकिन ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर को इस दायरे में लाया ही नहीं गया है। उन्होंने कहा कि एक तरफ हाई पावर्ड कमेटी कह रही है कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों को गिरफ्तार न किया जाए, तो दूसरी तरफ पुलिस इस दिशा-निर्देश का पालन नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में गिरफ्तारी इसलिए की जा रही है ताकि कोरोना संकट के दौरान बाकी और चीजों से लोगों का ध्यान भटकाया जा सके।
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दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि कालरा काफी प्रभावशाली व्यक्ति है। इसलिए उसकी ओर से पुलिस को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। श्रीवास्तव ने 1984 के दंगे के हाईकोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें कहा गया है कि असाधारण परिस्थिति में असाधारण कार्रवाई की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि हम सबने कभी कोरोना का संकट नहीं देखा है। सभी कठिन परिस्थिति में हैं। पुलिस को जांच करने में भी दिक्कत हो रही है। श्रीवास्तव ने कहा कि आरोपितों ने ब्रोशर के जरिये लोगों को लुभाया और कहा कि प्रीमियम पोर्टेबल ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स बेच रहे हैं। आरोपितों ने ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर्स की कीमत 27,999 रुपये रखी थी लेकिन इसे 70 हजार रुपये में बेचा गया। ये कंसेंट्रेटर चीन का बना था लेकिन आरोपितों ने इसे जर्मनी का बताकर लोगों के साथ फर्जीवाड़ा किया। सभी आरोपियों ने लाभ कमाने के लिए साजिश रची।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली पुलिस ने खान मार्केट के एक रेस्टोरेंट से ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बरामद किये थे। उसके बाद पुलिस ने छतरपुर में छापा मारकर एक आरोपित को गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस ने 387 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर मैट्रिक्स सेलुलर कंपनी के वेयरहाउस से बरामद किये। 6 मई को पुलिस ने लोधी कॉलोनी के एक रेस्टोरेंट से 419 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर जब्त किये थे। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में गौरव, सतीश सेठी, विक्रांत और हितेश को गिरफ्तार किया था। इन चारों को 12 मई को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत से जमानत मिल चुकी है। इन चारों ने मैट्रिक्स सेलुलर के छतरपुर स्थित वेयरहाउस का खुलासा किया था। दिल्ली पुलिस ने 7 मई को हाईकोर्ट को बताया था कि उसने रेस्टोरेंट से 105 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बरामद किए हैं। इसके अलावा टाऊन हॉल नामक दूसरे रेस्टोरेंट से 96 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर जब्त किये गए थे।