नौसेना के स्वदेशी हाइड्रोग्राफिक सर्वे शिप आईएनएस संध्याक आखिरकार 40 साल तक देश की सेवा करने के बाद विदा हो गया। जहाज ने अपनी सेवा के दौरान देश के पूर्वी और पश्चिमी तटों, अंडमान समुद्र और पड़ोसी देशों में भी लगभग 200 प्रमुख हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण और कई छोटे सर्वेक्षण किए हैं।
औपचारिक सेवामुक्ति समारोह शुक्रवार को नौसेना डॉकयार्ड विशाखापत्तनम में आयोजित किया जाएगा जिसमें जिसमें केवल इन-स्टेशन अधिकारी और नाविक शामिल होंगे जो कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करेंगे।
नौसेना के हाइड्रोग्राफिक सर्वे शिप आईएनएस संध्याक की परिकल्पना तत्कालीन चीफ हाइड्रोग्राफर पद्म श्री रियर एडमिरल एफएल फ्रेजर ने की थी। उनकी भारत में स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण जहाजों की चाहत थी। नौसेना मुख्यालय से डिजाइन को अंतिम रूप दिए जाने के बाद जहाज का निर्माण 1978 में कील बिछाकर गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने शुरू किया था। पूर्वी नौसेना कमान (ईएनसी) के तत्कालीन फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल एमके रॉय ने जहाज को भारतीय नौसेना में 26 फरवरी, 1981 को कमीशन किया था। संध्याक वास्तव में स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित श्रृंखला में भारतीय नौसेना का पांचवां हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण जहाज है।
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कमीशनिंग के बाद से जहाज ने भारतीय नौसेना के हाइड्रोग्राफरों के साथ कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं, जिसकी बदौलत प्रायद्वीपीय जल में पूर्ण हाइड्रोग्राफिक कवरेज की नींव रखी जा सकी है। इसके अलावा भारतीय नौसेना के सभी सर्वेक्षण जहाजों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। नौसेना के इस सर्वेक्षण जहाज ने अपनी कमीशन सेवा के दौरान देश के पूर्वी और पश्चिमी तटों, अंडमान समुद्र और पड़ोसी देशों में भी लगभग 200 प्रमुख हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण और कई छोटे सर्वेक्षण किए हैं।
सर्वेक्षण मिशनों के अलावा जहाज कई महत्वपूर्ण अभियानों में सक्रिय भागीदार रहा है, इनमें 1987 में श्रीलंका में भारतीय शांति सेना की सहायता करने के लिए चलाये गए ऑपरेशन पवन, 2004 की सुनामी के बाद मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए ऑपरेशन रेनबो और ऑपरेशन सारोंग प्रमुख हैं। इसके अलावा भारत-अमेरिका की संयुक्त भागीदारी में राहत एवं बचाव अभ्यास ‘टाइगर-ट्रायम्फ’ में भी इस सर्वे शिप ने भाग लिया है।
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आईएनएस संध्याक (जे-18) सर्वेक्षण जहाजों के संध्याक वर्ग का प्रमुख जहाज है। आत्मरक्षा के लिए जहाज एक हेलीकॉप्टर और 40 मिमी. बोफोर्स तोप के अलावा चार सर्वेक्षण मोटर नौकाओं, दो छोटी नावों से भी लैस है। यह जहाज प्रदूषण के स्तर, विभिन्न स्थानों पर समुद्र के स्तर, समुद्र तल और समुद्री संपदा का भी विश्लेषण कर सकता है। संध्याक उथले तटीय और गहरे समुद्री जल सर्वेक्षण करने और समुद्र विज्ञान और भूभौतिकीय डेटा एकत्र करने में सक्षम रहा है।
हाइड्रोग्राफिक सर्वे शिप आईएनएस संध्याक ने अपने शानदार 40 वर्षों के कार्यकाल में 22 कमांडिंग अधिकारियों को देखा। अंतिम कमांडिंग अधिकारी ने 17 जून, 2019 जहाज का कार्यभार संभाला। शुक्रवार को सूर्यास्त के साथ जहाज से नौसेना पताका और कमीशनिंग पताका आखिरी बार नीचे उतारी जाएगी, जो नौसेना से उसकी विदाई का प्रतीक है। डीकमिशनिंग की यह प्रक्रिया पूर्वी नौसेना कमांड के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह पूरी करेंगे।