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भगोड़े नीरव मोदी पर ED का बड़ा एक्शन, 29 करोड़ की संपत्ति की जब्त

neerav modi

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नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार कोमनी लॉन्ड्रिंग मामले में भगोड़े नीरव मोदी (Neerav Modi) की 29 करोड़ 75 लख रुपए की अचल संपत्ति और बैंक बैलेंस को जब्त किया। ईडी ने ये कार्रवाई भगोड़े नीरव मोदी के खिलाफ पीएनबी बैंक घोटाले के मामले में की है। 6498 करोड़ रुपए के इस बैंक फ्रॉड मामले में ईडी ने सीबीआई की एफआईआर पर ECIR दर्ज कर जांच शुरू की थी। जांच के दौरान ईडी को नीरव मोदी और उसकी ग्रुप ऑफ कंपनी की करोड़ों की कीमत की जमीन और बैंक एकाउंट का पता चला था।

इससे पहले भी अब तक ईडी नीरव मोदी (Neerav Modi) और उससे जुड़ी 2596 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति को अटैच कर चुकी है।

ईडी ने पीएनबी बैंक धोखाधड़ी के मामले में भारतीय दंड संहिता 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धाराओं के तहत सीबीआई, बीएस और एफसी शाखा, मुंबई द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की है।

नीरव मोदी और उनकी कंपनियों के भारत में पड़े 29।75 करोड़ रुपये की पहचान भूमि और भवन और बैंक खातों में पड़ी राशि के रूप में की गई, जिन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जब्त किये गये हैं।

नीरव मोदी (Neerav Modi) की प्रत्यर्पण की कार्यवाही शुरू

विशेष न्यायालय (FEOA), मुंबई द्वारा भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के प्रावधानों के तहत 692।90 करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं। पीड़ित बैंकों को 1052।42 करोड़ रुपये सफलतापूर्वक बहाल कर दिए गए हैं।

पीएमएलए, 2002 के तहत विशेष न्यायालय (पीएमएलए) के समक्ष नीरव मोदी और संबंधित संस्थाओं के खिलाफ ईडी द्वारा पहले ही शिकायत दायर की जा चुकी है। इसके साथ ही, गिरफ्तार भगोड़े नीरव मोदी के खिलाफ प्रत्यर्पण की कार्यवाही शुरू की गई और लंदन, यूके में प्रगति पर है।

ब्रिटेन की जेल में बंद है नीरव मोदी (Neerav Modi) 

इस साल की शुरुआत में, नीरव मोदी (Neerav Modi)  ने यूके कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया था और यूके कोर्ट ने सातवीं बार उसकी जमानत खारिज कर दी थी। नीरव मोदी द्वारा जमानत आदेश के खिलाफ यूके उच्च न्यायालय के समक्ष अपील दायर की गई थी, जिसे बाद में वापस ले लिया गया था। फिलहाल वह ब्रिटेन की जेल में बंद है और आगे की जांच जारी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत सरकार की ओर से यह कोशिश की जा रही है कि नीरव मोदी को भारत प्रर्त्यपण किया जाए, ताकि घोटालों के लिए उसके खिलाफ भारतीय कानून के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जा सके। इस मामले में भारत सरकार ने ब्रिटेन सरकार से प्रर्त्यपण के लिए अपील भी की थी।

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