बदलते दौर में सेहत का ख्याल रखना आसान नहीं। खान-पान में लापरवाही बिगड़ती सेहत की मूल वजह है। सही खाद्य पदार्थों का चुनाव हमें कई गंभीर बीमारियों से बचा सकता है। दिन की शुरुआत यदि सही नाश्ते से हो तो ही कई बीमारियों से आप बच सकते हैं। आइए आपको बताते हैं नाश्ते में ली जाने वाली एक ऐसी चीज के बारे में जिसका आप यदि रोजाना सेवन करते हैं तो यह ना केवल आपका वजन घटाएगा बल्कि आपको डायबिटीज जैसी बीमारियों में राहत भी देगा।
जई की फसल
साल में अक्टूबर माह के आस-पास जई की फसल होती है। यही वह चीज है जिसे आपको नाश्ते में खाना है। दरअसल, जई की फसल का एक नाम है ओट्स। ओट्स का का ट्रेंड बढ़ने के कारण किसानों के लिए यह फसल काफी मुनाफे वाली हो चुकी इसलिए हरियाणा, पंजाब व इनसे सटे प्रदेशों में इसकी खेती का क्षेत्रफल साल दर साल बढ़ रहा है। यह बहुत पौष्टिक होती है।
हालांकि जई पहले केवल पशुओं के चारे में शामिल होता था, लेकिन इसके फायदे समझ आने पर मनुष्यों ने भी इसका शुरु किया है। जई का वैज्ञानिक नाम एवेना सैटिवा है। ओट्स यानि की फसल पकने में 6 महीने लेती है। मशीन से कटाई के बाद बीज निकालकर बाजार में बेच दिए जाता है। जहां ओट्स को प्रोसेस कर जानी-पहचानी शक्ल दी जाती है।
बड़े काम का ओट्स
ओट्स शरीर के लिए बेजोड़ है। सेहत बनाने के साथ-साथ कई बीमारियों को दूर करने का काम करता है। खनिज व प्रोटीन भारी मात्रा में पाए जाते हैं। इसके सेवन से नर्वस सिस्टम पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसमें इनोजिटोल निकोटीनेट खून में वसा के स्तर को नियंत्रित करता है। इससे ब्लॉकेज की समस्या से निजात मिलती है।
प्रतिदिन सेवन करने से इंसुलिन का स्तर भी ठीक रहता है, इसलिए मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद है। पेट संबंधी समस्यओं में भी यह रामबाण है। ऑट्स का सेवन रक्त संचार सही रहता है, जिससे त्वचा पर चमक बरकरार रहती है। यही नहीं फेसपैक की तरह इस्तमाल कर चेहरे को निखारा जा सकता है।
दिल का दोस्त
ओट्स अनाज का रूप है। इस के चोकर में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है। फाइबर कोलेस्ट्रॉल कम कर दिल को स्वस्थ रखता है। हार्टअटैक के खतरे कम करता है। वजन कम करने में भी सहायक है, इसलिए इसे दिल का दोस्त कहा जाता है। इसके अलावा कैंसर से बचाव, गर्मी से बचाव, रुखी त्वचा आदि समस्या से निजात दिलाने में सहायक है ।
जई और जौ में फर्क
जई और जौ में अंतर है। हालांकि दोनों ही अनाज का रूप हैं, लेकिन इनकी फसल अलग है। जौ का वैज्ञानिक नाम होर्डियम वल्गारे है। जौ को पशु पसंद नहीं करते, जबकि जई को चारे में बड़े पैमाने पर इस्तमाल किया जाता है। कई इलाकों में जौ की रोटियां खाई जाती हैं। इसका उपयोग बीयर बनाने में अधिक होता है।