नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को लेकर सरकार के साथ चर्चा कर रहे हैं। इस संदर्भ में प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आरबीआई कीमत और वित्तीय स्थिरता बनाए रखते हुए अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार के लिए अपने सभी नीतिगत उपायों के उपयोग को लेकर प्रतिबद्ध है।
वृद्धि अनुमानों को घटाने की जरूरत नहीं
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को 2021-22 का बजट पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव किया था। एक सवाल के जवाब में दास ने यह भी कहा कि आर्थिक पुनरुद्धार निर्बाध रूप से जारी रहना चाहिए, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आरबीआई के 10.5 फीसदी वृद्धि अनुमानों को घटाने की जरूरत नहीं लगती।
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आरटीजीएस व एनईएफटी की सुविधा 24 घंटे उपलब्ध
सेवाओं की बेहतर डिलीवरी के लिए वित्तीय क्षेत्र में नवप्रवर्तन की जरूरत पर बल देते हुए आरबीआई गवर्नर ने नवोन्मेष को बढ़ावा देने वाले प्रभावी नियमन का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि, ‘आरटीजीएस और एनईएफटी की सुविधा अब 24 घंटे उपलब्ध है। आरटीजीएस में विभिन्न मुद्राओं में लेन-देन की क्षमता है। इस बात की संभावना पर विचार करने की जरूरत है कि क्या इसका दायरा भारत से बाहर भी बढ़ाया जा सकता है।’
274 करोड़ डिजिटल लेन-देन को सुगम बनाया
दास ने कहा कि रिजर्व बैंक के लिये प्रभावी नियमन प्राथमिकता है और कायदा-कानून ऐसे नहीं होने चाहिए, जो वित्तीय प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करे। मजबूत पूंजी आधार के साथ बैंक क्षेत्र की वित्तीय सेहत, नैतिक मानदंडों के साथ संचालन व्यवस्था बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है। ग्राहकों को बेहतर सेवा देने के लिए प्रौद्योगिकी और नवप्रवर्तन की महत्वपूर्ण भूमिका है। लोगों को प्रत्यक्ष अंतरण लाभ पहुंचाने के लिए 274 करोड़ डिजिटल लेन-देन को सुगम बनाया गया और इसमें ज्यादातर महामारी के दौरान हुए।
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अपनी चिंताओं से सरकार को अवगत कराया
क्रिप्टोकरेंसी के बारे में उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक इस संदर्भ में वित्तीय स्थिरता को लेकर चिंताओं का आंकलन कर रहा है। हमने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अपनी चिंताओं से सरकार को अवगत कराया है, इस पर विचार किया जा रहा है। सरकार इस पर निर्णय करेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि देश में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामले चिंता की बात है, लेकिन इससे निपटने के लिए इस बार हमारे पास अतिरिक्त उपाय हैं। पिछले साल जैसे लॉकडाउन की आशंका नहीं है।