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नेपाल ने गोरखा जवानों की भर्ती पर लगाई रोक, जानें पूरा मामला

Gorkha

Gorkha

नई दिल्ली। देशभर में भारतीय सेना की अग्निपथ स्कीम को लेकर भारी बवाल मचा। कई जगहों से आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं। हालांकि सेना की संयुक्त प्रेस वार्ता में स्कीम के फायदे गिनाए जाने के बाद युवाओं का गुस्सा शांत हुआ और वह इस स्कीम के समर्थन में आ गए। देश में इस स्कीम के तहत भर्ती प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इस बीच, एक खबर ने एक बार फिर अग्निपथ योजना को लेकर भारत की टेंशन बढ़ा दी है।

दरअसल, अब पड़ोसी मुल्क नेपाल ने ‘अग्निपथ योजना’ पर एक नया विवाद पैदा कर दिया है। नेपाल ने इस योजना के तहत भारतीय सेना में गोरखाओं (Gorkha) की भर्ती पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। नेपाल के गोरखा लंबे समय से भारतीय सेना में भर्ती होते रहे हैं। साल 1947 में नेपाल, भारत और ब्रिटेन के मध्य एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ था, जिसमें ब्रिटिश और भारतीय सेनाओं में नेपाली युवकों को भर्ती करने का प्रावधान किया गया था।

नेपाल ने जताई आपत्ति

माई रिपब्लिका दैनिक के मुताबिक, नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खडके ने बुधवार को नेपाल में भारत के राजदूत नवीन श्रीवास्तव से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने उनसे अपील की कि नई भर्ती योजना के तहत नेपाली गोरखाओं (Gorkha) की भर्ती की योजना को स्थगित कर दिया जाए। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि खडके ने श्रीवास्तव को यह भी बताया कि साल 1947 का त्रिपक्षीय समझौता अग्निपथ स्कीम के तहत भारत की नई भर्ती नीति को मान्यता नहीं देता है। बता दें कि यह त्रिपक्षीय समझौता भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती पर आधारित है।

भारत ने जून में की थी घोषणा

कांतिपुर अखबार के मुताबिक, विदेश मंत्रालय में हुई मुलाकात के दौरान खडके ने भारतीय राजदूत से कहा कि नेपाल सरकार भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती को लेकर सकारात्मक रुख रखती है, लेकिन सरकार अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों से बातचीत करने के बाद इस मुद्दे पर फैसला लेगी। क्योंकि भारत सरकार ने नई सैन्य भर्ती योजना शुरू की है।

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भारत सरकार ने जून में अग्निपथ योजना की घोषणा करते हुए कहा था कि साढ़े 17 साल से 21 साल की उम्र के युवाओं को चार साल के कार्यकाल के लिए भर्ती किया जाएगा। वहीं उनमें से 25 प्रतिशत को बाद में नियमित सेवा में शामिल किया जाएगा।

गोरखा रेजीमेंट (Gorkha Regiment) में 43 बटालियन

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारतीय सेना लंबे समय से नेपाल के गोरखा की सैनिकों के रूप में भर्ती करती रही है और वह अग्निपथ भर्ती योजना के तहत प्रक्रिया जारी रखने के लिए आशान्वित है। भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट में 43 बटालियन हैं और इनमें भारतीय सैनिकों के साथ ही नेपाल से भर्ती जवान भी शामिल हैं। भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे की 4 सितंबर से शुरू हो रही नेपाल की पांच दिन की यात्रा से पहले नेपाल का यह रुख सामने आया है। जनरल पांडे की यात्रा का मुख्य उद्देश्य नेपाल की सेना के मानद जनरल की उपाधि प्राप्त करना है, जो उन्हें राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी प्रदान करेंगी।

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