नई दिल्ली। नेपाल एक तरफ तो भारत के साथ हाल के दिनों में बढ़ी तल्खी को कम करने की कोशिश करता दिख रहा है लेकिन दूसरी तरफ वह कालापानी के मसले को गरमाने की भी तैयारी में है। इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नेपाल सरकार कालापानी पर अपना दावा जताने के लिए एक किताब निकालने की तैयारी कर रही है जिसे एंबेसी के जरिए कई अलग अलग देशों में भेजा जाएगा।
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नेपाल के वर्जन वाला मैप भी दिखाए। नेपाल ने कुछ वक्त पहले ही अपने नए नक्शे को मंजूरी दी है। जिसमें कालापानी के साथ ही भारत के इलाके लिपुलेख और लिम्पयाधुरा को भी नेपाल का हिस्सा दिखाया गया है।
सोमवार को भारत और नेपाल के अधिकारियों की मीटिंग हुई। दोनों देशों के बीच विदेश मंत्री स्तर की बातचीत भी जल्द हो सकती है। हालांकि नेपाल कालापानी को लेकर अपने तेवर तीखे करने की तैयारी में है। इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों के मुताबिक नेपाल सरकार कालपानी मुद्दे पर किताब पब्लिश करने की तैयारी कर रही है। यह किताब अंग्रेजी में होगी और इसमें कालापानी को लेकर नेपाल के दावे को बताया जाएगा।
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नेपाल ने 1990 से ही कालापानी पर अपना दावा जताना शुरू कर दिया था। 8 मई को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लिपुलेख के पास तक की एक सड़क का उद्घाटन किया। यह सड़क बीआरओ ने बनाई है। इसके बनने के साथ ही पहली बार चीन बॉर्डर के इतना करीब तक गाड़ियां जाने का रास्ता बना।