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इन जगहों में कभी न करें भोजन, वरना घेर लेगी दरिद्रता

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हमारी रोजमर्रा की दिनचर्या और आदतों के बारे में शास्त्रों में कुछ नियम बताए गए हैं। कहा जाता है कि ज्योतिष और वास्तु के नियमों का पालन किया जाए, तो घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और परिवार में खुशियां आती है। अगर नियमों का पालन न किया जाए, तो दरिद्रता और कष्टों का सामना करना पड़ता है।

ऐसे ही भोजन(Food) से जुड़े कुछ नियम बताए गए हैं। आज हम आपको बताएंगे कि किन स्थिति में भोजन नहीं करना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

भोजन (Food) से जुड़े नियम

– गीले पैरों से होकर भोजन (Food)  करने वाला मनुष्य लम्बी आयु प्राप्त करता है।
– सूखे पैर और अंधेरे में भोजन (Food)  नहीं करना चाहिए।
– शास्त्रों में मनुष्य के लिये प्रातः काल और सायंकाल। दो ही समय भोजन करने का विधान बताया गया है। बीच में भोजन करने की विधि नहीं बताई गई है। जो इस नियम का पालन करता है, उसे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है ।
– मनुष्य के एक बार का भोजन (Food)  देवताओं का भाग, दूसरी बार का भोजन मनुष्यों का भाग, तीसरी बार का भोजन प्रेतों व दैत्यों का भाग और चौथी बार का भोजन राक्षसों का भाग होता है।
– सन्ध्याकाल में भोजन नहीं करना चाहिए।
– देवताओं, ऋषियों, मनुष्यों ( अतिथियों), पितरों और धर के देवताओं का पूजन करके ही भोजन करें।
– भोजन हमेशा पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए।
– पूर्व की और मुख करके खाना मनुष्य की आयु बढ़ाता है, दक्षिण की ओर मुख करके खाने से प्रेतत्व की प्राप्ति होती है, पश्चिम की ओर मुख करके खाने से मनुष्य रोगी होता है और उत्तर की ओर मुख करके खाने से धन की प्राप्ति होती है।
– बिना स्नान किए भोजन करने वाला मानो विष्ठा खाने के बराबर होता है। बिना जप किए भोजन करना पीब और रक्त के बराबर है। बिना हवन किए भोजन करना कीड़े खाने के बराबर है। देवता, अतिथि आदि को अर्पित किए बिना भोजन करना मदिरा पीने के बराबर है।

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