उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ‘नई शिक्षा नीति-2020’ को विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का अनूठा माध्यम बताते हुए इसके अमल पर जोर देते हुए कहा कि इसके अनुरूप प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के लिए कार्य शुरू कर देना चाहिए।
श्रीमती पटेल ने अपने तीन दिवसीय वाराणसी दौरे आखिरी दिन बुधवार को यहां सर्किट हाउस सभागर में शिक्षा से जुड़े विभिन्न स्तर के अधिकारियों, शिक्षकों समेत अन्य लोगों को संबोधित करते हुए नई शिक्षा नीति की भावनाओं के अनुरूप पठन-पाठन कार्य शुरु करने पर जोर दिया।
उन्होंने विद्या भारती के प्रतिनिधियों, अध्यापक, अध्यापिकाओं, आंगनवाड़ी केंद्रों के अधिकारियों एवं सुपरवाइजरों को संबोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में बच्चों को संस्कारित बनाने, ज्ञानवर्धक करने, रोजगार पर जोर दिया गया है। नई नीति में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के समस्त आयाम समाहित किये गए हैं।
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श्रीमती पटेल ने कहा कि नई शिक्षा नीति को लेकर देश में अनेक वेबिनार आयोजित किये जा रहे हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यपालों के साथ संवाद कर महिला एवं शिक्षा के विकास के लिए किये जा रहे प्रयासों जानकारी ली है।
उन्होंने कहा कि वाराणसी में भ्रमण के दौरान उन्हें आंगनवाड़ी केंद्र एवं प्राथमिक स्कूलों में दिखा है। आंगनवाड़ी में वर्कर उत्साहित दिखे हैं। अच्छा कार्य हो रहा है। सरकार बच्चों, महिलाओं, शिक्षा के उत्थान की योजनाओं को सफल करने के लिए अरबों रुपये देती है।
श्रीमती पटेल ने कहा कि आंगनवाड़ी सुपरवाइजर पूरा समय केंद्रों पर दें एवं कार्यकत्री द्वारा किए जा रहे कार्यों को भौतिक रूप से देखें। जहां समस्या हो उसे निस्तारित करें।
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उन्होंने तीन से छह वर्ष के बच्चों के बीच नया पाठ्यक्रम बनाकर आंगनवाडी कार्यकत्री एवं प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों को प्रशिक्षण देकर उसे लागू किये जाने का सुझाव दिया तथा कहा कि बेहतरीन प्रयास की जानी चाहिए। छोटे बच्चों को गांव में भ्रमण कराया जाये। बच्चों में जो प्रतिभा है, उसकी जानकारी अभिभावकों को होनी चाहिए।
राज्यपाल ने आंगनवाड़ी केंद्रों, विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों की दीवार पर कुछ प्रेरणादायी विचार-“अच्छे फल के लिए बीज अच्छा हो , “ मकान अच्छा चाहिए तो नीव मजबूत हो, “देश एवं राष्ट्र मजबूत चाहिए तो शिक्षा की चिंता करें” तथा परिवार अच्छा चाहिए तो बाल्यावस्था की चिंता करें, आदि लिखवा कर बच्चों में अच्छा संदेश प्रसारित किए जाने पर भी जोर दिया।
बैठक में विद्या भारती द्वारा छोटे बच्चों के लिए संचालित शिशु वाटिका के क्रियाकलापों का प्रजेंटेशन किया गया। शिशु वाटिका में आनंदमई शिक्षा की परिकल्पना के साथ नई शिक्षा के प्रावधानों को समाहित किया गया है। बच्चों को क्रीड़ांगन, विज्ञानशाला, चित्र पुस्तकालय, कला कौशल, खेल-खेल में शिक्षा, रंगमंच, शिशु संस्कार आदि से घर जैसा माहौल में आनंददायी शिक्षा दी जाती है।
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श्रीमती पटेल ने कहा कि गुजरात में विद्या भारती के उपयोगी आयामों से महिला बाल कल्याण में प्रशिक्षण कराकर क्रियान्वित किया जा रहा है जिसके अच्छे परिणाम मिले हैं। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि शिक्षा में कुछ वर्षों के अंतराल पर 20-20 फीसदी पाठ्यक्रम में बदलाव करने से नयापन आता है और गुणवत्ता बढ़ती है। उन्होंने गुजरात में किए गए प्रयोगों का जिक्र करते हुए कहा कि अच्छे संदर्भों एवं आयामों को हमें अपने पाठ्यक्रम तथा कार्यों में शामिल करना चाहिए, चाहे वह किसी निजी संस्था से मिल रही हो। विद्या भारती ने शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे आयाम स्थापित किए हैं। नई शिक्षा नीति पर इस संस्था ने चिंतन किया एवं बाल्यकाल शिक्षा पर अच्छी पुस्तिका बनाई है।
इस मौके पर प्रदेश की महिला एवं परिवार कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वाति सिंह ने कहा कि विद्या भारती एवं आंगनवाड़ी की संयुक्त बैठक एक अच्छी कार्यशाला के रूप में हुई। इस संस्था द्वारा दिए गए प्रेजेंटेशन के कार्य आंगनवाड़ी में बहुत अच्छे परिणाम देंगे। इसके लिए भविष्य में भी महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी एवं इस संस्था से संपर्क एवं संवाद कर सहयोग लेकर अपने केंद्रों पर लागू करेंगे और अच्छे परिणाम होंगे।
इस अवसर पर विद्या भारती संस्कारित शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों एवं बच्चों के लिए बनाई गई पुस्तिका आदि का प्रजेंटेशन किया। गंगा भारती के बच्चों द्वारा गोबर से तैयार दीया राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को संस्था के पदाधिकारी में भेंट किया।