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यूपी में बना बिजली खपत का नया रिकार्ड, 31 मई की रात में बढ़ गई इतनी मांग

Electricity

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लखनऊ। प्रदेश में भीषण गर्मी की वजह से लगातार बिजली खपत (Electricity Consumption) का नया रिकॉर्ड बन रहा है। 31 मई की रात बिजली खपत (Electricity Consumption) बढ़कर 29727 मेगावाट पर पहुंच गई। वहीं प्रदेश की उत्पादन इकाइयों ने 15788 मेगावाट बिजली उत्पादन (Electricity Production) कर नया रिकॉर्ड कायम किया है। उधर, पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन की मुश्तैदी से उपभोक्ताओं की दुश्वारियां कम हुई हैं। शनिवार को छिटपुट घटनाओं को छोड़कर तो ज्यादातर इलाकों में स्थिति सामान्य रही। प्रदेश में पारे में बढ़ोतरी के साथ ही बिजली की मांग का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है।

24 मई को बिजली की मांग (Electricity Demand) 29147 मेगावाट पर पहुंच गई थी। इसके बाद से लगातार बढोत्तरी के साथ 31 मई की रात यह 29727 मेगावाट पर पहुंच गई है। ऐसी स्थिति में विभिन्न स्थानों पर आपूर्ति उपकरण जवाब देने लगे। हालांकि कुछ देर बाद मौसम में आई नरमी ने राहत दी। रात करीब तीन बजे के बाद बिजली की मांग में गिरावट हुई। शनिवार को कुछ जिलों में बादल छाए रहने की वजह से भी बिजली की मांग में कमी आई।

इसी क्रम में राज्य के उत्पादन गृहों ने भी 15788 मेगावाट विद्युत उत्पादन (Electricity Production) करने का नया रिकार्ड बनाया है। मौसम में मामूली गिरावट और बिजली कर्मियों की सक्रियता बढ़ने के बाद उपभोक्ताओं की मुश्किलें कुछ हद तक कम हुई हैं। शनिवार को लोकल फाल्ट की घटनाएं भी कम हुई हैं। विभागीय अफसर भी लगातार निगरानी कर रहे हैं। जहा से भी शिकायतें मिलीं, उसका तत्काल निस्तारण कराने का दावा किया गया है।

हर कार्मिक जून माह को चुनौती के रूप में ले: गोयल

पावर काॅरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ आशीष कुमार गोयल (आशीष गोयल) ने शनिवार को अधिकारियों को निर्देशित किया है कि जून माह में गर्मी का असर बरकरार रहने की संभावना है। ऐसी स्थिति में इस माह को चुनौती के रूप में लें। बिजली की मांग में हो रही बढ़ोत्तरी को देखते हुए सावधानी बरतें। राज्य लोड डिस्पैच सेंटर (एसएलडीसी) को प्रभावी बनाएं, जिससे विद्युत प्रणाली के एकीकृत संचालन को बेहतर बनाया जा सके।

उपभोक्ताओं की बात न सुनने से हुआ बवाल

उपभोक्ता परिषद का दावा है कि जिस इलाके में अवर एवं सहायक अभियंताओं ने विद्युत व्यवधान होने पर उपभोक्ताओं की बात नहीं सुनीं, उसी क्षेत्र में बवाल हुआ। यदि बिजली गुल होने पर उपभोक्ता को सही जानकारी दे दी जाए तो इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी।

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 1912 पर शिकायतों के फर्जी निस्तारण में मुख्य भूमिका अवर अभियंता और संबंधित अभियंताओं की है। वे बिना शिकायत का निस्तारण किए ही उसे निस्तारित बता दे रहे हैं। इससे लोगों में आक्रोश है। प्रदेश में मुआवजा कानून को सख्ती से न लागू किए जाने का नतीजा है इस प्रकार की घटनाएं हो रहीं हैं।

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कॉल सेंटर द्वारा फोन ना उठाए जाने पर भी प्रत्येक मामले में 50 रुपया प्रतिदिन के हिसाब से उपभोक्ता को मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। इसे भी लागू किया जाना चाहिए।

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