न्यूयॉर्क। एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि लगभग चार अरब साल पहले मंगल ग्रह पर भीषण बाढ़ आई। यह बाढ़ मंगल ग्रह की भू-मध्य रेखा पर आई थी। इस नए अध्ययन से यह बात सामने आई है कि मंगल ग्रह पर भी जीवन मौजूद हो सकता है। इस विश्लेषण के आधार पर अमेरिका के कार्नेल विश्वविद्यालय के विज्ञानियों सहित अन्य शोधकर्ताओं ने कहा कि इस तरह की भयानक बाढ़ से विशाल लहरें पैदा कीं, जिनसे पृथ्वी पर मौजूद विज्ञानी अच्छी-तरह परिचित थे। एक साइंस जर्नल ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित शोध में नासा के क्यूरियोसिटी रोवर से जो आंकड़े जुटाए गए, वह चौकाने वाले थे। इन आंकड़ों के आंकलन से यह बात सामने आई कि मंगल ग्रह पर भी बाढ़ आई थी। यह रोवर नवंबर 2011 में लांच किया गया था और शोध के में यह सामने आया कि एक उल्कापिंड के टकराने के कारण मंगल ग्रह कि सारी बर्फ पिघल गई और वहां भीषण बाढ़ आ गई।
एक नए अध्ययन के मुताबिक लगभग चार अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह की भू-मध्य रेखा पर भीषण बाढ़ आई थी। इस नए शोध से इस बात का संकेत मिलता है कि लाल ग्रह पर जीवन मौजूद हो सकता है। ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ नामक जर्नल में प्रकाशित शोध में नासा के क्यूरियोसिटी रोवर द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों का आकलन किया गया। यह रोवर नवंबर 2011 में लांच किया गया था और शोध के दौरान यह पाया गया कि उल्कापिंड के प्रभाव में आकर मंगल ग्रह की बर्फ पिघली और वहां पर भयानक बाढ़ आई। इस विश्लेषण के आधार पर अमेरिका के कार्नेल विश्वविद्यालय के विज्ञानियों सहित अन्य शोधकर्ताओं ने कहा कि इस तरह की भयानक बाढ़ से विशाल लहरें पैदा कीं, जिनसे पृथ्वी पर मौजूद विज्ञानी अच्छी-तरह परिचित थे।
शोध के सह लेखक और कार्नेल यूनिवर्सिटी से ताल्लुक रखने वाले अल्बर्टो जी फेयरन ने कहा, ‘हमने क्यूरियोसिटी रोवर द्वारा एकत्र किए आंकड़ों का उपयोग करके लाल ग्रह पर बाढ़ आने की पहचान की। विज्ञानियों के अनुसार लगभग चार अरब वर्ष से मंगल ग्रह पर हवा और पानी मिश्रित यह भूगर्भीय विशेषताएं जमी हुई हैं।