नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के पास पर्यावरण से संबंधित किसी भी मामले पर स्वत: संज्ञान ले सकता है। शीर्ष अदालत का ये भी कहना है कि, वह (NGT) पत्रों, अभ्यावेदन और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर कार्यवाही शुरू कर सकता है।
बता दें कि, इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देते हुए बताया था कि, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के पास स्वत: संज्ञान लेने की शक्तियां नहीं हैं, हालांकि वह पर्यावरण संबंधी चिंताओं को उठाते हुए पत्र या संचार पर कार्रवाई कर सकता है।
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अपीलों के एक समूह की सुनवाई के दौरान केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने पक्ष रखते हुए अदालत के फैसले की मांग की थी कि ट्रिब्यूनल के पास शक्ति है या नहीं। हा लांकि केंद्र की तरफ से कहा गया था कि ट्रिब्यूनल को अधिनियम के तहत पर्याप्त रूप से उपलब्ध शक्ति का प्रयोग करने के लिए प्रक्रियात्मक कानून में नहीं बांधा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट से इस संबंध में दिशा-निर्देश देने की मांग की गई थी। सॉलिसिटर जनरल की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि एक बार जब ट्रिब्यूनल को कोई संचार प्राप्त होता है, तो मामले पर संज्ञान लेना उसका कर्तव्य है। भाटी ने कहा था कि, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट, 2010 को पर्यावरण की रक्षा के उद्देश्य से लागू किया गया था।