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कोरोना संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश में लग सकता है नाइट कर्फ्यू

Night curfew

Night curfew

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार ने जिलाधिकारियों को परिस्थितियों का आंकलन करते हुए नाईट कर्फ्यू लगाने का रास्ता साफ कर दिया है।

इस संबंध में मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने सोमवार को नयी गाइडलाइन्स जारी कर दी है, जो मंगलवार से लागू हो जायेगी। यह गाइडलाइन्स अग्रिम आदेशों तक लागू रहेंगी। मुख्य सचिव ने इस संबंध में सभी मंडलायुक्तों, अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस उप महानिरीक्षक रेंज, पुलिस आयुक्त, जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को विस्तृत दिशा-निर्देश दिये हैं।

नाईट कर्फ्यू के बारे में तिवारी ने कहा कि कन्टेनमेंट जोन के बाहर किसी भी राज्य या अन्य जिला, सब डिवीजन और नगर प्रशासन द्वारा केंद्र सरकार की पूवार्नुमति के बिना स्थानीय स्तर पर किसी भी प्रकार का लॉकडाउन नहीं लगाया जा सकेगा। हालांकि, कोरोना संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने के मकसद से परिस्थितियों का आकलन करते हुये स्थानीय प्रतिबंध (जैसे रात्रि कर्फ्यू आदि) लागू किया जा सकता है। ऐसे शहरों में जहां कोविड पॉजिटिविटी दर 10 प्रतिशत से ज्यादा है, वहां एक ही समय पर उपस्थित कार्मिकों की संख्या को कम रखने के मकसद से अलग-अलग पालियों में कराने पर विचार किया जा सकता है।

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तिवारी ने कहा कि पॉजिटिव पाये गये लोगों के संपर्क में आये सभी व्यक्तियों की सूची (कांटेक्ट ट्रेसिंग) तैयार की जाये और इनके चिन्हांकन, ट्रैसिंग, क्वारंटाइन और 14 दिनों तक लगातार मॉनिटरिंग की कार्यवाही की जाये। जहां तक संभव हो पॉजिटिव पाये जाने के 72 घंटे के अंदर ही 80 प्रतिशत संपर्क चिन्हित कर लिये जाये। इसके अलावा मरीजों को तुरंत आइसोलेट किया जाये, अगर वो होम आइसोलेशन की शर्ते पूरी करते हैं तो होम आइसोलेट करते हुये इलाज शुरू कर दिया जाये। जरूरत के हिसाब से हॉस्पिटल में भी भर्ती कर इलाज किया जाये और उसकी सतत निगरानी की जाये। बफर जोन में फीवर क्लीनिक या मोबाईल मेडिकल यूनिट को सक्रिय किये जाने पर विचार किया जाये। कन्टेनमेंट जोन के तय मानकों का सख्ती से पालन कराये जाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन, पुलिस और स्थानीय निकाय के अधिकारियों की होगी।

मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि जारी दिशा-निदेर्शों का आपदा प्रबंधन अधिनियम के अनुसार कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाये। सोशल-डिस्टेन्सिंग का कड़ाई से पालन कराने के लिए निषेधाज्ञा का जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल किया जाये। दिशा-निदेर्शों का उल्लंघन करने पर आपदा-प्रबन्धन अधिनियम की धाराओं एवं प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाये।

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तिवारी ने बताया कि कोविड के खिलाफ कार्यवाही किये जाने में राज्य को महत्वपूर्ण उपलब्धि मिली है, जिसके परिणामस्वरूप संक्रमण के सक्रिय केस में लगातार कमी आ रही है। लेकिन पिछले कुछ हफ़्तों में राज्य के कुछ क्षेत्रों में सक्रिय केस में वृद्धि होने के भी संकेत मिले हैं। त्योहारी सीजन, सर्द मौसम शुरू होने और तथा कुछ क्षेत्रों में प्रोटोकाल व निर्गत दिशा-निदेर्शों के अनुपालन में बरती जा रही लापरवाही के मद्देनजर इस महामारी के दोबारा फैलने की संभावना हो सकती है। ऐसे में पूरी सावधानी बरते जाने, कन्टेनमेंट जोन में और सख्ती की जरूरत है। इसके लिए स्थानीय जिला प्रशासन को कुछ प्रतिबंध लगाने के लिए भी उत्तरदायित्व दिये जाने की जरूरत है।

मुख्य सचिव ने कहा कि निर्देश दिये गये हैं कि मास्क पहनने की अनिवार्यता के मद्देनजर सार्वजनिक एवं कार्यस्थलों पर फेस कवर न पहनने वाले लोगों पर तय जुमार्ना लगाने और अन्य प्रशासनिक कार्यवाही भी की जाये। भीड़-भाड़ वाली जगहों जैसे मार्केट, साप्ताहिक बाजार, सार्वजनिक परिवहन आदि में सामाजिक दूरी का अनुपालन सुनिश्चित किये जाने के लिए उचित एसओपी अपनायी जाये। हवाई जहाज, ट्रैन और मेट्रो रेल से यात्राओं को नियंत्रित करने के मकसद से पहले से जारी निदेर्शों का सख्ती से पालन किया जाये। बस, बोट या यातायात के अन्य साधनों के बारे में भी कोविड प्रोटोकाल का सख्ती से पालन कराया जाये।

तिवारी ने बताया कि शादी, सार्वजनिक या धार्मिक अदि कार्यक्रमों में तय क्षमता का हाल या कमरे के 50 प्रतिशत लेकिन एक समय में अधिकतम 100 लोगों तक की ही अनुमति के निर्देश यथावत लागू रहेंगे। अंतरार्जीय एवं राज्य के अन्दर आने-जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। इसके लिए अलग से किसी भी प्रकार की अनुमति की जरूरत नहीं होगी।

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