नई दिल्ली/लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव (Nikay Chunav) अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण रद्द कर दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओबीसी (OBC Reservation) के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य घोषित कर तत्काल चुनाव कराने के निर्देश दिए थे। अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
यूपी सरकार की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल कर जल्द सुनवाई की मांग की गई है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट मामले की जल्द सुनवाई के लिए भी तैयार हो गया है। यूपी सरकार की ओर से दाखिल की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 4 जनवरी को सुनवाई होगी।
यूपी सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने मामले की मेंशनिंग की। सीजेआई चंद्रचूड़ की कोर्ट में मामले को मेंशन करते हुए सॉलिसीटर जनरल मेहता ने कहा कि मामले को जल्द सुना जाना चाहिए। उन्होंने कोर्ट में कल ही मामले की सुनवाई किए जाने की अपील की। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि डीलिमिटेशन कि प्रक्रिया चल रही है।
यूपी सरकार की ओर से एसजी ने सुप्रीम कोर्ट में ये भी कहा कि ओबीसी आयोग का गठन कर दिया गया है। सरकार की ओर से ये भी कहा गया कि स्थानीय निकाय के चुनाव ओबीसी आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही कराए जाएं। यूपी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगान की मांग की गई है।
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ओबीसी आरक्षण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने बगैर ओबीसी आरक्षण के ही तत्काल चुनाव (Nikay Chunav) कराने के आदेश दिए थे और ये भी कहा था कि जब तक ट्रिपल टेस्ट न हो, तब तक ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद यूपी की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी चौतरफा घिर गई थी।
निकाय चुनाव के लिए गठित पिछड़ा वर्ग आयोग ने की पहली बैठक
बीजेपी और यूपी सरकार के खिलाफ अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी समेत अन्य सियासी दलों ने मोर्चा खोल दिया था। सरकार सियासी गलियारों में घिरी तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये साफ किया था कि बिना ओबीसी आरक्षण के यूपी सरकार निकाय चुनाव (Nikay Chunav) नहीं कराएगी। इसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।