निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी एक चायवाले को प्रधानमंत्री बना सकती है, तो उन्हें भी एक अच्छी जगह तो मिल ही सकती है। उन्होंने कहा कि पद प्रतिष्ठा के लिए नहीं, निषादों के भले और कानूनों के लिए ये जंग है।
एमएलसी एक उच्च सदन है जहां कानून बनते है और अगर बीजेपी ने मुझे वहां भेजा है तो मैं वहां जाकर हम निषादों के हित में कानून बनाएंगे। संगीता बलवंत पहले से हैं, हमारी बेटी की तरह। अब दो-दो एडजस्ट हो गए हैं।
मंत्री पद नहीं मिलने को लेकर उन्होंने कहा कि सही समय आने दीजिए, समय सिद्धि है. जब बीजेपी एक चायवाले को पीएम बना सकती है तो मुझे भी आगे बढ़ाएगी। कार्यकर्ताओं को मंत्री बनाएंगे, हम तो कानून बनाने को लेकर संघर्ष कर रहे थे और अब हम खुद कानून बनाएंगे।
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बता दें कि रविवार को योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार में जितिन प्रसाद सहित सात नए मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया गया। जितिन के अलावा छत्रपाल सिंह, पलटु राम, संगीता बलवंत, संजीव कुमार, दिनेश खटीक और धर्मवीर सिंह को मंत्री बनाया गया है। जितिन को कैबिनेट मंत्री और बाकी को राज्य मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई। राज्य सरकार में निषाद पार्टी के संजय निषाद को भी शामिल करने की अटकलें थी लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया।
भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले अपना जातीय समीकरण और सियासी गठजोड़ बनाने में जुट गई है। ऐसे में बीजेपी ने 2022 के चुनाव के लिए अपना दल (एस) के अलावा संजय निषाद की निषाद पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। यूपी के चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने निषाद पार्टी के साथ गठबंधन का औपचारिक ऐलान किया है। हालांकि निषाद पार्टी सूबे में कितनी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी, इस पर मुहर नहीं लगी।
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माना जा रहा है कि यूपी में एनडीए से नाता तोड़ चुके भारतीय सुहेलदेव पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर की भरपाई के लिए बीजेपी ने निषाद पार्टी के साथ हाथ मिलाया है। ऐसे में देखना है कि बीजेपी और निषाद पार्टी की यह सियासी दोस्ती 2022 में क्या राजनीतिक गुल खिलाती है?