प्रदेश में राजनीतिक पटल पर ताजातरीन खबरों में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे की खबर प्रमुख है। जिसके चलते नये मुख्यमंत्री के नामों की अटकलों पर विराम लगता नहीं दिख रहा था। ऐसे में एक विश्वस्त नाम दीनदयाल उपाध्याय जी के पारिवारिक प्रपौत्र चन्द्रशेखर उपाध्याय जी का प्रमुखता के साथ सामने आया है।
बताते चलें कि चन्द्रशेखर उपाध्याय का नाम केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के द्वारा प्रस्तावित किया गया है। साथ ही राजनीतिक हलकों में चर्चा यह भी है कि किसी मैदानी क्षेत्र से ब्राह्मण चेहरे के नाम के लिए भी पार्टी में स्वर तेज हो गये हैं।
प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम में नये मुख्यमंत्री के लिए यूं तो अनेक नामों पर चर्चा चल रही है। लेकिन सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी के बड़े नेताओं से विचार-विमर्श किया है। जहां तीरथ सिंह रावत ने ऋतु खंडूरी का नाम सुझाया है। यह तय माना जा रहा है कि उत्तराखंड में इस बार भाजपा किसी ब्राह्मण चेहरे को मुख्यमंत्री बनाने जा रही है।
खबर यह भी है कि किसी सांसद को पार्टी ये जिम्मेदारी सौंप सकती है। जिससे उनके सामने अगले 6 महीने के लिए कोई संवैधानिक संकट भी नहीं होगा। यहां पर यह भी बताते चलें कि केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी प्रदेश के नये मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदार हैं। लेकिन जब उनसे इस सम्बन्ध में पूछा गया तो उन्होंने अस्वस्थता का हवाला देते हुए अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए दीनदयाल उपाध्याय के प्रपौत्र चन्द्रशेखर उपाध्याय का नाम प्रस्तावित किया है।
चन्द्रशेखर उपाध्याय उत्तर प्रदेश में सेशन जज रह चुके हैं। अगस्त 2004 में वह राज्य के एडीशनल एडवोकेट जनरल बने थे। बहुचर्चित रामपुर तिराहा कांड की पुर्ननिरीक्षण याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्वीकार कराकर राज्य आंदोलनकारियों को उन्होंने एक बड़ी राहत दिलवाई थी। वह खंडूरी और निशंक के पूर्व ओएसडी (न्यायिक, विधायी एवं संसदीय कार्य)भी रह चुके हैं। उन्हें प्रमुख सचिव का स्तर प्राप्त है। नैनीताल हाईकोर्ट में उन्होंने हिंदी भाषा में वाद कार्यवाही प्रारंभ करने के लिए बड़ा संघर्ष करके सफलता प्राप्त की है।
गौरतलब है कि चन्द्रशेखर उपाध्याय हिंदी माध्यम से एल एल एम करने वाले देश के प्रथम छात्र हैं। वह बहुत लम्बे समय से हिंदी से न्याय देशव्यापी अभियान के जरिए हिंदी भाषा के उन्नयन के लिए कार्य कर रहे हैं।