नई दिल्ली| नीति आयोग के एक कार्यबल ने चीनी उद्योग की बेहतर वित्तीय सेहत के लिए गन्ने की कीमतों को चीनी के बाजार मूल्य से जोड़ने की सिफारिश की है। कार्यबल ने चीनी मिलों को उत्पादन लागत को निकालने में मदद करने के लिए चीनी के न्यूनतम मूल्य को बढ़ाकर एकमुश्त 33 रुपये प्रति किलो करने की भी बात की है।
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नीति अयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद की अध्यक्षता में गन्ना और चीनी उद्योग पर पैनल की रिपोर्ट को मार्च 2020 में अंतिम रूप दिया गया था। इसे इस सरकारी थिंक-टैंक के वेबसाइट पर डाला गया। कार्यबल ने किसानों को उपयुक्त प्रोत्साहन प्रदान करके गन्ने की खेती के तहत आने वाले कुछ रकबों में कम पानी की आवश्यकता वाले फसलों की खेती को अपनाने की भी सिफारिश की है।
कार्यबल ने गन्ने की फसल वाले करीब तीन लाख हेक्टेयर क्षेत्र को अन्य फसलों के इस्तेमाल की तरफ ले जाने पर जोर देते हुय कहा कि गन्ने के मुकाबले कम पानी खपत करने वाले वैकल्पिक फसलों की ओर रुख मोड़ने के लिए किसानों को छह हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा दिया जा सकता है।
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इसने कहा कि चीनी की कीमतों में ठहराव अथवा चीनी मिलों के सामने नकदी की समस्या मुख्य चिंता का कारण बना रहा है जिसके कारण सरकार को समय-समय पर विभिन्न नकदी समर्थन उपायों को करना पड़ता है। कार्यबल ने कहा, वह तीन साल की अवधि के लिए चीनी पर 50 रुपये प्रति क्विंटल का उपकर लगाने का प्रस्ताव करता है।