पटना। जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह को आज उनके पद से हटा दिया गया। नए अध्यक्ष बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) खुद बन गए हैं। ललन सिंह को हटाए जाने की खबरें पिछले एक हफ्ते से चल रही थीं। इस खबर के साथ साथ ही यह खबर भी चल रही है कि नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होकर एनडीए के साथ जाएंगे। धुआं उठा है तो निश्चित ही आग भी लगी होगी। क्योंकि यह आग दोनों तरफ से लगी है।
ललन पर आरोप रहा है कि वो जेडीयू की बजाय आरजेडी के लिए काम कर रहे थे। कहा जा रहा है कि जेडीयू को तोड़ने की भी प्लानिंग हो रही थी। निश्चित है कि महागठबंधन अब ज्यादा दिन का मेहमान नहीं है। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा था कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) जब भी कोई दरवाजा बंद करते हैं तो खिड़की खुला रखते हैं। मतलब साफ है कि नीतीश को भी कोई सहारा चाहिए। दूसरी ओर केंद्र में फिर से सत्ता में आने के लिए बेचैन बीजेपी को बिहार में क्लीन स्वीप चाहिए जिसमें नीतीश कुमार उनके मददगार बन सकते हैं।
गिरिराज सिंह का बड़ा दावा, खतरे में नीतीश की कुर्सी
वहीं, सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को लेकर केंद्रीय मंत्री व बीजेपी के कद्दावर नेता गिरिराज सिंह ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि सीएम नीतीश की कुर्सी खतरे में है। उनकी जगह मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बनेंगे। जेडीयू का RJD में विलय तय है।
बिहार में कड़ाके के सर्दी के बीच बढ़ा हुआ सियासी पारा गर्मी बढ़ा रहा है। सरकार में शक्ति का संतुलन आरजेडी के पक्ष में झुका हुआ है। उसके पास 79 विधायक हैं और जेडीयू के पास 45 हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि गठबंधन में प्रमुख भागीदार के रूप में आरजेडी जल्द ही अपने नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाने के लिए दबाव डाल सकती है। इसके अलावा सीट बंटवारे पर आरजेडी अपने विधायकों की संख्या का हवाला देकर जेडीयू से अधिक सीटें लेने की मांग उठा सकती है।
लोकसभा की 17 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है जेडीयू
जेडीयू बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से कम से कम 17 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और बाकी 23 सीटें आरजेडी, कांग्रेस और सीपीएम (एमएल) के लिए छोड़ना चाहती है। नीतीश कुमार राष्ट्रीय राजनीति में खुद का कद बढ़ाने की कोशिश में लगे हुए हैं। हालांकि उन्होंने इंडिया गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से बिल्कुल इनकार किया है और उनका कहना है कि उनकी पद को लेकर कोई इच्छा नहीं है।
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इंडिया गठबंधन को खड़ा करने में नीतीश कुमार की भूमिका अहम मानी जाती है। उन्होंने सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की पहल की थी। नीतीश ने इस साल की शुरुआत में पटना में पहली बैठक आयोजित की थी। इसके बाद उन्होंने जाति जनगणना पर जोर दिया।