नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। इसी बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म करने का इरादा इस सरकार का न तो कभी था, न है और न रहेगा। मंडी व्यवस्था भी कायम रहेगी। कोई भी ‘मां का लाल’ किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकता है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि ये दुष्प्रचार किया गया कि किसानों की जमीन कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से छीन ली जाएगी, कोई भी मां का लाल किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकता है। ये मुकम्मल व्यवस्था कृषि कानूनों में की गई है। राजनाथ सिंह ने हिमाचल प्रदेश सरकार के तीन साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ये बातें कही है।
#WATCH ये दुष्प्रचार किया गया कि किसानों की जमीन कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के माध्यम से छीन ली जाएगी, कोई भी मां का लाल किसानों से उनकी जमीन नहीं छीन सकता है। ये मुकम्मल व्यवस्था कृषि कानूनों में की गई है: हिमाचल प्रदेश सरकार के तीन साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में रक्षा मंत्री pic.twitter.com/OrLOYNsnuI
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 27, 2020
राजनाथ सिंह ने कहा कि कुछ लोग नए कृषि कानूनों को लेकर जानबूझकर गलफहमी फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक कृषि सुधार से उन लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई है जो लोग किसानों के नाम पर अपने निहित स्वार्थ साधते थे। उनका धंधा खत्म हो जाएगा। इसलिए जानबूझ कर देश के कुछ हिस्सों में एक गलतफहमी पैदा की जा रही है कि हमारी सरकार एमएसपी की व्यवस्था खत्म करना चाहती है।
बता दें कि राजनाथ सिंह का बयान ऐसे समय में आया है जब एक तरफ किसानों का आंदोलन चल रहा है, वहीं इसके साथ ही उन्होंने सरकार से बातचीत के लिए 29 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव दिया है। हालांकि इस बातचीत के लिए किसानों ने चार शर्त रखी है जिसमें पहली शर्त तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की बात है। हालांकि, सरकार ने कई मौकों पर साफ किया है कि कानून वापस नहीं होंगे।
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वहीं हिमाचल प्रदेश को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा कि जब केंद्र में मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार आई तो हमने यह सोच बदली है। हम सभी राज्यों को बराबरी की नज़र से देखते हैं। हमने हिमाचल को उसके आकार के हिसाब से नहीं, बल्कि उसके आर्थिक और सामरिक महत्व के हिसाब से देखना प्रारंभ किया।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पहले क्या होता था कि हिमाचल प्रदेश, कम आबादी वाला एक छोटा पहाड़ी राज्य है। इसलिए वहां संसाधनों की कोई खास जरूरत नहीं है। इस सोच के कारण केंद्र से हिमाचल को दी जाने वाली धनराशि काफी कम होती थी।