नई दिल्ली । अगले वर्ष होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। इस परिप्रेक्ष्य में पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्य के साथ ही तमिलनाडु विधानसभा चुनाव भी भारतीय जनता पार्टी के लिए चिंता का सबब बनता नजर आ रहा है।
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने यह कहते हुए भाजपा के ‘अंदरुनी कल्पना’ के गुब्बारे में पिन चुभो दी है कि वह चुनाव में विजयी हुई तो सत्ता में किसी अन्य दल से साझेदारी नहीं करेगी। पार्टी से मुख्यमंत्री ई के पलानीस्वामी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे।
इससे पहले भाजपा ने घोषणा की थी कि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में निर्णय लेगी। बता दें कि अन्नाद्रमुक के उप संयोजक एवं सांसद के पी मुनुसामी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 27 दिसम्बर को चुनाव प्रचार की शुरुआत की घोषणा की थी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री पलानीस्वामी अगले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। अगर चुनाव में अन्नाद्रमुक गठबंधन दलों से अधिक सीटें हासिल करती है तो सत्ता में किसी से साझेदारी नहीं की जायेगी।
अन्नाद्रमुक की इस घोषणा को लेकर एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा कि राजनीति में इस तरह की बातें होती रहती हैं। हम सही वक्त पर उचित कदम उठायेंगे।
कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि भाजपा के लिए तमिलनाडु सबसे बड़ी चुनौती है। उसे अन्नाद्रमुक की घोषणा को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
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पर्यवेक्षकों का यह भी कहना है कि राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर भाजपा नेताओं के क्षेत्रवार टिप्पणियाें से विरोधाभाष की स्थिति भी बनी है , जैसा कि इनके नेता पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर(एनआरसी) लाये जाने का खंडन करते है। वहीं असम में ‘त्रुटि-मुक्त’ एनआरसी की वकालत करते हैं। लोग इन्हीं विरोधाभाषों पर सवाल उठा सकते हैं। इसलिए भाजपा के लिए इस पर स्पष्टीकरण दिया जाना अपेक्षित है।
बता दें कि अगले वर्ष अप्रैल-मई में पश्चिम बंगाल , तमिलनाडु, असम, केरल और पुड्डुचेरी विधानसभा के चुनाव होंगे।