कहते है न की अगर कुछ करने की ठान लो तो कोई भी आपका रास्ता नहीं रोक सकता है। ऐसा ही एक कहानी है जोधपुर की सड़कों पर झाड़ू लगाने वाली निगम कर्मचारी आशा कंडारा की जिसका चयन आरएएस-2018 में हुआ है। आठ साल पहले पति से अनबन के बाद दो बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी निभाते हुए आशा ने पहले ग्रेजुएशन की। अब आरएएस क्लियर की। परीक्षा के 12 दिन बाद ही उसकी नियुक्ति सफाई कर्मचारी के पद हुई थी। हालांकि नतीजों के लिए दो साल इंतजार करना पड़ा। इस दौरान सड़कों पर झाड़ू लगाया, पर हिम्मत नहीं हारी।
आरएएस में चयनित होने के बाद वह बहुत ही खुश हैं। उसने बताया कि उसने ठान लिया था कि अफसर बनने के लिए कठिन परिश्रम भी क्यों नहीं करना पड़े। उसने बताया कि परीक्षा देने के बाद उसे भरोसा था कि उसका सलेक्शन जरूर होगा। आरएएस में चयनित आशा कंडारा के जीवन की कहानी मुश्किल भरी हैं।
उसने बताया कि वर्ष 1997 में उसकी शादी हुई, लेकिन पांच साल बाद पति ने उसे छोड़ दिया। पति से अलग होते ही उसने सोच लिया कि जिंदगी में कुछ करके दिखाना हैं। एकाउंटेट सेवा से रिटायर्ड पिता राजेंद्र कंडारा की पुत्री आशा ने कठिन परिस्थियों में मेहनत कर वर्ष 2016 में ग्रेजुएशन की।
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ग्रेजुएशन करने के एक साल बाद उसका पति से विधिवत तलाक हो गया। विपरित परिस्थियों के बावजूद उसने वर्ष 2018 में सफाई कर्मचारी भर्ती की परीक्षा दी। इसके साथ ही आरएएस प्री परीक्षा की तैयारी के लिए दिन-रात पढाई की। इसके लिए ऑनलाइन पढ़ाई के साथ कोचिंग क्लास भी जाइन की। अगस्त में प्री की परीक्षा दी, अक्टूबर में परिणाम घोषित हुआ तो पास होते ही आरएएस मैन्स की तैयारी में जुट गई।
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26 जून 2019 को परीक्षा दी, इसके 12 दिन बाद ही सफाई कर्मचारी के पद पर नियुक्ति का पत्र आया। उसने ज्वाइंनिग दी। उसे पावटा की मुख्य सड़क पर सफाई के लिए बनाई सफाई गैंग में लगाया, लेकिन मुख्य सड़क पर झाड़ू लगाने में भी नहीं हिचकिचाई। जब मंगलवार को आरएएस में चयन हुआ तो उसे इतनी खुशी हुई, मानाे उसका सपना साकार हो गया।