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Gyanvapi Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को जारी किया नोटिस, इस याचिका पर मांगा जवाब

Supreme Court

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Case) पर सुनवाई की। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की ओर से दायर अर्जी पर मुस्लिम कमेटी को नोटिस जारी किया है और मस्जिद कमेटी से दो हफ्ते में जवाब मांगा है। हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि साल 1993 तक हिंदू समुदाय के लोग सीलबंद क्षेत्र में प्रार्थना करते थे। वहीं, मुसलमान समुदाय सीलबंद क्षेत्र को वजूखाना मानता है।

मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के अंदर सर्वोच्च अदालत द्वारा आदेशित सीलबंद क्षेत्र “वजूखाना” का ASI सर्वेक्षण करने के लिए हिंदू पक्ष की याचिका पर ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति से जवाब मांगा है। इससे पहले जब ASI सर्वे किया गया था तब कथित तौर पर एक शिवलिंग पाया गया था जिसे मुस्लिम पक्ष एक फव्वारा बताता है।

हिंदू पक्ष ने क्या दावा किया?

ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और मस्जिद प्रबंधन समिति को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश हिंदू याचिकाकर्ताओं की याचिका पर दिया है। उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के ‘वजूखाना’ क्षेत्र का सर्वेक्षण एएसआई से कराने की मांग की है। हिंदू पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान एक शिवलिंग मिला था।

मामलों को हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज यानी शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से संबंधित पंद्रह लंबित मामलों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग की गई है, ताकि उन पर एक साथ सुनवाई हो सके। मौजूदा समय में वाराणसी जिला जज की अदालत में 9 मामले और सिविल जज सीनियर डिवीजन, वाराणसी की अदालत में 6 मामले चल रहे हैं।

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वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि हमने आवेदन को सूचीबद्ध करने के लिए एक तात्कालिक पत्र दिया था। बोर्ड पर जो सूचीबद्ध किया गया है वह हमारे अनुरोध के अनुसार है। जिस IA (Interim Application ) को हम सूचीबद्ध करना चाहते थे वह 21555 है। एक पक्ष की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि मामलों को उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने से विरोधी आदेशों से बचने में मदद मिलेगी और तीन न्यायाधीशों की पीठ को मामले पर व्यापक रूप से निर्णय लेने की अनुमति मिलेगी। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा तो आप समान मुकदमों के एकीकरण की मांग कर रहे हैं? तो एक समय मैं वहां बेंच पर था। क्या याचिकाकर्ता की ओर से भी कभी कोई प्रार्थना की गई थी कि याचिकाओं को एक किया जाए।

वकीलों ने इस मामले में क्या कहा?

वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी ने कहा कि हमने वह प्रार्थना की थी और हमें जिला अदालत में जाने के लिए कहा गया था। जस्टिस कांत ने कहा कि हां, एक न्यायिक आदेश के माध्यम से मुख्य मामला जिला न्यायाधीश को सौंपा गया था, इसलिए उन्हें निर्णय लेना होगा। अहमदी ने कहा लेकिन इस IA में वे चाहते हैं कि याचिकाएं हाईकोर्ट में जाएं।

वरिष्ठ वकील दीवान ने कहा कि इससे विरोधाभासी आदेश आएंगे। हम जो सुझाव दे रहे हैं वह यह है कि यह इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए एक उपयुक्त मामला होगा ताकि इसे तीन न्यायाधीशों की पीठ सुन सके और निर्णय लिया जाए। यह (IA) आज बोर्ड पर नहीं था लेकिन यह कार्रवाई का एक उचित तरीका है।

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