कोरोना की दूसरी लहर ने सबको मुश्किलें मे कर दिया हैं। पिछले साल ही मार्च से लेकर मई तक पूर्ण लॉकडाउन के बाद कई मोर्चों पर मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। कंपनियों की बंदी से छंटनी करनी पड़ी और रोजगार के अवसर भी घटे। एक साल से ब़ड़ी संख्या में लोग बेरोजगार बैठे हैं। ऐसे में वित्तीय मुसीबत से बचने के लिए कोरोना ने सिखा दिया है कि अब छह नहीं 12 महीने का आपात कोष (इमर्जेंसी फंड) बना कर रखना ही समझदारी भरा फैसला है।
आपत कोष क्या है
यह ऐसी बचत राशि है जो आपकी नौकरी छूट जाने की स्थिति में आपके हर माह के जरूरी खर्च के लिए पर्याप्त होती है। आपके हर माह का खर्च तय होता है। इसमें रसोई से लेकर बच्चों की स्कूल फीस, कर्ज की ईएमआई और कुछ अन्य खर्च होते हैं। नौकरी छूट जाने पर भी यह खर्च आप बंद नहीं कर सकते हैं। हालांकि, इमर्जेंसी फंड कितनी अवधि का को इसके लिए कोई मानक तय नहीं है और यह आपकी वित्तीय स्थिति पर निर्भर करता है। इसके बावजूद कम से कम एक साल के लिए इमर्जेंसी फंड जरूर रखें।
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बचत खाता को न समझें आपात कोष
सामान्य तौर पर हम बचत खाता में जमा को इमर्जेंसी फंड मानने की गलती कर बैठते हैं। जबकि उसमें से लगातार सभी काम के लिए राशि निकलती रहती है। वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि इमर्जेंसी फंड को अलग-अलग कई विकल्पों में निवेश करके रखना चाहिए। इसमें बचत खाता के अलावा, लिक्विड फंड और छोटी अवधि की एफडी शामिल है।
फंड में करें निवेश
लिक्विड फंड भी छोटी अवधि का होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इमर्जेंसी फंड का एक हिस्सा इसमें जरूर रखना चाहिए। म्यूचुअल फंड कंपनियां लिक्विड फंड की पूंजी 91 दिन की परिपक्वता वाले तय अवधि (टेड उत्पाद) वाले उत्पादों में निवेश करती हैं। इसकी वजह से बाजार में तेज उतार-चढ़ाव आने पर इनके रिटर्न पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है।
इमर्जेंसी फंड के लिए बड़ी राशि की एक एफडी कराकर रखना समझदारी भरा फैसला नहीं है। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए छोटी राशि की एक से तीन माह की अलग-अलग कई एफडी रखें। साथ ही अवधि पूरी होने पर इसे आगे बढ़वाते रहें। इससे आपके पास हर समय पैसे की उपलब्धता रहेगी और समय से पहले एफडी बंद करने की स्थिति में शुल्क चुकाने से भी बच जाएंगे।