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अब पडरौना से मुश्किल होगी स्वामी की राह!

Swami Prasad Maurya

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गोरखपुर। कांग्रेस के बड़े सितारे रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री कुंवर आरपीएन (रतनजीत प्रताप नारायण) सिंह के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस की हताशा स्वाभाविक है। पर, इससे चिंता की लकीरें समाजवादी पार्टी के नेताओं के माथे पर भी खिंचती दिख रही हैं।

पडरौना राजघराने से ताल्लुक रखने वाले आरपीएन की गिनती पूर्वांचल के कद्दावर नेताओं में होती है। राजघराने से ताल्लुक होने के नाते हर वर्ग में उनका सम्मान है। खुद पिछड़ी जाति का होने के नाते उनकी पिछड़ी जातियों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। इन्हीं जातियों की भाजपा में उपेक्षा का आरोप लगा स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में शामिल हुए।

दीगर बात यह भी है कि स्वामी प्रसाद मौर्य जिस पडरौना विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं, वह आरपीएन की व्यक्तिगत मजबूती वाला इलाका है और वह यहां से  लगातार तीन बार जीत की तिकड़ी भी लगा चुके हैं। इसे स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं करेगा कि वर्तमान चुनाव में आरपीएन सिंह की इस क्षेत्र में व्यक्तिगत पकड़ अब भाजपा को मजबूत करेगी।

कुंवर आरपीएन सिंह के भाजपाई होने पर ठेस भले ही कांग्रेस को लगी है लेकिन दर्द समूचे विपक्ष के लिए उभरेगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सिंह एक कुशल संगठनकर्ता भी माने जाते हैं। उनके पास कांग्रेस में झारखंड राज्य का सांगठनिक प्रभार भी था। अपने साथ कार्यकर्ताओं को जोड़कर रखना उनकी खूबी मानी जाती है। 1996, 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में वह उस दौर में कांग्रेस के लिए पडरौना विधानसभा सीट से जीतते रहे जब पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का वोट बैंक लगभग डूब चुका था।

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2009 में लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। तब से यहां दो बार बसपा और एक बार (गत चुनाव में) भाजपा के टिकट पर स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव जीतते रहे हैं। अब जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य सपा में शामिल हो गए हैं और पडरौना राजघराने के कुंवर भाजपा संग आ गए हैं तो यहां की लड़ाई बेहद दिलचस्प हो गई है। बेटे को ऊंचाहार की सीट न दिलवा पाए स्वामी के सामने पडरौना से भी लखनऊ की राह आसान नहीं दिख रही होगी।

सपा और स्वामी प्रसाद मौर्य खेमे में चिंता इस बात को लेकर होगी कि कहीं आरपीएन को भाजपा पडरौना से प्रत्याशी न बना दे। टिकट का फैसला तो पार्टी को करना है लेकिन आरपीएन के आने से उनकी व्यक्तिगत पकड़ का लाभ अब भाजपा के ही खाते में आएगा

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