साल 1945 में मानवीय युद्ध की सबसे बड़ी त्रासदी हुई थी। 6 अगस्त के दिन तब अमेरिका ने जापान के शहर हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराया था। इसका नतीजा यह हुआ कि इसमें लाखों लोग एक ही झटके मारे गए थे और उससे भी ज्यादा उस बम के कारण हुए विकिरणों से बाद में मरे। इस घटना को 76 साल हो चुके हैं।
इस बम के बाद ही एशिया में द्वितीय युद्ध का खात्मा औपचारिकता रह गई थी जबकि इससे तीन महीने पहले ही यूरोप में यह युद्ध खत्म हो चुका था और उसके एक महीने पहले से ही जापानी सेनाओं ने कई जगहों से पीछे हटना शुरू कर दिया था। फिर भी जापान के खिलाफ यह एक निर्णायक कदम माना जाता है। परमाणु बम गिराने की इस घटना इतिहास की भीषणतम त्रासिदियों में से एक बन कर रह गई थी।
6 अगस्त 1945 को ही हिरोशिमा में सुबह 8.15 के समय अमेरिका के बी29 बॉम्बर एनोला गे ने ‘लिटिल बॉय’ नाम का परमाणु गिराया था। जिसमें 20 हजार टन के टीएनटी से भी ज्यादा बल था। एक अमेरिकी सर्वे के मुताबिक यह बम शहर के केंद्र के ही पास गिराया गया था जिससे 80 हजार लोग मारे गए थे और इतने ही घायल हुए थे।
इसके तीन दिन बाद ही एक और परमाणु बम जिससे ‘फैट मैन’ कहा जाता है नागासाकी के ऊपर सुबह 11 बजे गिराया जिसमें 40 हजार लोग मारे गए। सर्वे के मुताबिक नागासाकी में नुकसान बहुत कम हुआ क्योंकि यह बम एक घाटी में गिरा और उसी वजह से उसका असर ज्यादा नहीं फैला। इसका असल केवल 1.8 वर्ग मील तक ही हुआ।
1945 में जापान और अमेरिका के बीच तनाव बहुत बढ़ गया था। जापान इंडोचायना इलाके पर कब्जा करने की नीति अपनाई जिसेस अमेरिका खफा हो गया था।
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रयूमैन को परमाणु बम के उपयोग के अधिकार दे दिए थे जिससे जापान को युद्ध में आत्मसमर्पण करने में मदद मिल सके।
ट्रयूमैन ने जापान को चेताया था कि अगर जापान ने समर्पण नहीं किया तो अमेरिका जापान के किसी भी शहर को पूरी तरह से नेस्तोनाबूद करने के लिए तैयार है। अगर जापान ने उनकी शर्तों को नहीं माना तो वे हवा में बर्बादी की बारिश देखने के लिए तैयार रहे।
उन हालातों में जापान ने कोई समझौता नहीं किया और फिर अमेरिका ने बम गिराने का फैसला कर 6 अगस्त को हिरोशिमा पर और 9 अगस्त को नागासाकी पर परमाणु बम गिरा दिए।
इतिहासकार गार एलपरोजित्ज ने 1965 में अपने किताब में दलील दी है कि जापान तो उस समय हार ही रहा था, लेकिन अमेरिका युद्ध के बाद सोवियत संघ से शक्ति के मामले में आगे निकलना चाहता था। इसीलिए उनसे यह एक तरह का ‘शक्ति प्रदर्शन’ किया। यह भी कहा जाता है कि यह मत उस समय सोवियत संघ ने प्रचलित किया था।
ट्रयूमैन चाहते थे कि शहर ऐसे हों जिन पर बम गिराने का पर्याप्त असर हो, सैन्य उत्पादन इनमें प्रमुख था जिससे कि जापान की युद्ध क्षमता को सबसे बड़ा नुकसान हो सके। हिरोशिमा इसके लिए उपयुक्त था। जापान के सातवां बड़ा शहर, जो अपने देश की दूसरी सेना औ चुगोकु सेना का हेडक्वार्टर था। इसमें देश के सबसे बड़े सैन्य आपूर्ति भंडार गृह थे।
इसके बाद पूरी दुनिया से दूसरे विश्व युद्ध का खात्मा हो गया। लेकिन इन परमाणु बमों पर मानवीयता पर एक बदनुमा दाग लगा दिया जिसे युद्ध के कारण होने वाली तबाही के तौर पर याद किया जाता है।