कोविड हॉस्पिटल की चार स्टाफ नर्सों को प्रसूता अवकाश मांगना भारी पड़ गया। अगस्त, 2020 से कोविड हॉस्पिटल में जान की बाजी लगाकर मरीजों की सेवा की और अब जब वह प्रसूता हैं और प्रशासन को अपनी परेशानी बताईं तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने में अस्पताल जरा सा भी नहीं हिचका।
आपको बता दें कि महिलाओं को प्रसूता अवकाश का अधिकार मिला है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग का यह कारनामा लोगों के समझ से परे माना जा रहा है। जिला अस्पताल के कोविड हास्पिटल में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अगस्त, 2020 में आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्मिकों की व्यवस्था की गई थी। स्टाफ नर्स की तैनाती भी हुई थी। जिसमें स्टाफ नर्सों ने अब तक पूरी जिम्मेदारी से ड्यूटी की। इसके बाद अब 4 स्टाफ नर्सों प्रियंका जॉन, प्रियंका आनंद, लक्ष्मी सिंह व सीमा द्विवेदी ने अधीक्षक से प्रसूता की स्थिति बताते हुए अवकाश की मांग की।
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महिला कार्मिकों के बारे में पहले से ही प्रसूता अवकाश देने की व्यवस्था है और यह मानदेय या वेतन के साथ दिया जाता है। लेकिन इन महिला कार्मिकों से अधीक्षक कोविड हास्पिटल ने ड्यूटी लेने में असमर्थता जता दिया। उन्होंने इनके स्थान पर दूसरों की तैनाती के लिए आउटसोर्सिंग संस्था को पत्र लिख दिया।
इस बारे में कोविड हॉस्पिटल के अधीक्षक दीपक कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि प्रसूता से काम लेने की व्यवस्था नहीं है। उन्होंने अवकाश के बारे में कोई जानकारी होने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उच्चाधिकारियों के संज्ञान में है। वहीं अब कोविड काल में अपनी जान-जोखिम डाल कर ड्यूटी करने वाले कर्मियों के स्थान पर दूसरों की तैनाती की मांग करने का मामला तूल पकड़ रहा है।
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माना जा रहा है कि प्रसूता कार्मिकों से कोविड हास्पिटल में काम नहीं लिया जा सकता है। इसी बहाने उन्हें घर बैठने को कहा जा रहा है। इससे कार्मिकों का तनाव बढ़ गया है। नौकरी जाने का डर सता रहा है जो उनकी सेहत को भी प्रभावित कर सकता है। प्रसूता अवकाश न देने के पीछे आपदाकाल बताया जा रहा है। ऐसे में कोरोना पाजिटिव होने पर भी विभाग क्या करेगा? यह सवाल उठ रहा है।