हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व है। इस बार 22 जून को मंगल या भौम प्रदोष व्रत है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। मंगलवार को पढ़ने वाले प्रदोष व्रत को जो भी सच्चे ह्रदय से करता है भगवान शिव उसकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उसके जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है। ऐसे जातक को सुयोग्य जीवनसाथी की भी प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस व्रत की पूजा विधि….
प्रदोष व्रत पूजा विधि
नित्य कार्यों से निर्वित होकर जल्दी स्नान करें।
स्नान करने के बाद भगवान का ध्यान करें और व्रत का संकल्प करना चाहिए।
इस दिन स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
पूजा के समय उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके बैठना चाहिए।
भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें और उन्हें पुष्प अक्षत, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, गाय का दूध, धूप आदि अर्पित करें।
इस बार लॅाकडाउन की वजह से घर से बाहर जाने की मनाही है, इसलिए अगर आपके घर में शिवलिंग है तो, घर में ही शिवलिंग का अभिषेक करें।
घर में शिवलिंग नहीं है तो भगवान शिव का ध्यान करें।
इस दिन ओम नम: शिवाय का जप करें।
प्रदोष व्रत के दिन शिव चालीसा और आरती भी करनी चाहिए।
भगवान शिव को अपनी इच्छानुसार भोग लगाएं। घर में सात्विक भोजन बना कर भोले शंकर को भोग लगाएं।
पूजा संपूर्ण होने के बाद प्रसाद सभी में बांट दें।
इस मंत्र का जाप करें
प्रदोष की पूजा करते समय साधक को भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का पाठ करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए।