हिंदू धर्म में चतुर्थी तिथि बहुत अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। हर महीने ये तिथि दो बार आती है। माघ महीने में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि सकट चौथ (Sakat Chauth) कही जाती है। इसे तिलकुट चौथ भी कहा जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान गणेश का व्रत भी रखा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, सकट चौथ का व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। सकट चौथ का व्रत संतान की अच्छी सेहत और उसकी लंबी आयु के लिए भी रखा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल माघ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 17 जनवरी है। इस दिन शुक्रवार है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 17 जनवरी को सुबह 4 बजकर 18 मिनट पर होगी। ये तिथि अगले दिन 18 जनवरी शनिवार को समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, सकट चौथ (Sakat Chauth) का व्रत 17 जनवरी रखा जाएगा।
बप्पा को तिलकुट का भोग
सकट चौथ (Sakat Chauth) पर तिलकुट का प्रसाद बनाकर भगवान गणेश को उसका भोग लगाया जाता है। यही कारण है कि इसे तिलकुट चौथ के नाम से जाना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सकट चौथ पर भगवान गणेश को तिलकुट का भोग क्यों लगाया जाता है। आइए जानते हैंं।
इसलिए बप्पा को लगता है ये भोग
दरअसल, सकट चौथ (Sakat Chauth) पर भगवान गणेश को जो भोग लगाया जाता है, उसमेंं तिल से बनी चीजों को शामिल होती हैं। माना जाता है कि लड्डू और तिलकुट भगवान को सबसे अधिक प्रिय हैंं। सकट चौथ की व्रत कथा के अनुसार, माघ के महीने में तिल और उससे बनी चीजें अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
सकट चौथ का व्रत संतान की लंबी आयु और उसकी अच्छी सेहत के रखा जाता है। इसलिए महिलाएं भगवान गणेश के लिए तिल और गुड़ से तिलकुट बनाती हैं और फिर उसका भोग बप्पा को लगाती हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, तिलकुट के भोग से भगवान गणेश बहुत प्रसन्न होते हैं। सकट चौथ (Sakat Chauth) पर तिलकुट का भोग लगाने वालों के बप्पा सभी कष्ट दूर करते हैं। संतान की सेहत अच्छी रहती है। यही कारण है कि बप्पा को तिलकुट का भोग लगाया जाता है।