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मकर संक्रांति पर इन मंत्रों के साथ दें सूर्य को अर्घ्य, जीवन में होगा खुशियों का आगमन

Makar Sankranti

Makar Sankranti

मकर संक्राति (Makar Sankranti) का पावन पर्व हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता हैं। इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता हैं। इस दिन सूर्य की उपासना करते हुए सूर्य को जल चढ़ाया जाता हैं। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायन हो जाते हैं। सूर्य हमें रोशनी, ऊर्जा प्रदान करने वाले होते हैं जिसके बिना धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको सूर्य को अर्घ्य देने से जुड़े नियम और मंत्रों की जानकारी देने जा रहे हैं ताकि सूर्यदेव का आशीर्वाद मिलते हुए आपके जीवन में शुभता का आगमन हो। तो आइये जानते हैं इनके बारे में…

जानिए सूर्य अर्घ्य देने के नियम

– प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान करें।
– तत्पश्चात उदित होते सूर्य के समक्ष कुश का आसन लगाएं।
– आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें।
– उसी जल में मिश्री भी मिलाएं। मान्यतानुसार सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली के दूषित मंगल का उपचार होता है।|
– मंगल शुभ हो तब उसकी शुभता में वृद्दि होती है।|
– जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्यागमन से पहले नारंगी किरणें प्रस्फूटित होती दिखाई दें, आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाएं कि सूर्य जल चढ़ाती धार से दिखाई दें।|
– सूर्य को जल धीमे-धीमे इस तरह चढ़ाएं कि जलधारा आसन पर आ गिरे ना कि जमीन पर।|
– जमीन पर जलधारा गिरने से जल में समाहित सूर्य-ऊर्जा धरती में चली जाएगी और सूर्य अर्घ्य का संपूर्ण लाभ आप नहीं पा सकेंगे।|
– अर्घ्य देते समय यह मंत्र 11 बार पढ़ें- ‘ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।’
– फिर यह मंत्र 3 बार पढ़ें- ‘ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा:।।’
– तत्पश्चात सीधे हाथ की अंजूरी में जल लेकर अपने चारों ओर छिड़कें।
– अपने स्थान पर ही 3 बार घूम कर परिक्रमा करें।
– आसन उठाकर उस स्थान को नमन करें।
– इसके अलावा सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली, चंदन, लाल पुष्प डालना चाहिए तथा चावल अर्पित करके गुड़ चढ़ाना चाहिए। इससे सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है।

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के दिन सूर्यदेव की निम्न मंत्रों से पूजा करनी चाहिए

– ॐ सूर्याय नम:
– ॐ आदित्याय नम:
– ॐ सप्तार्चिषे नम:
– ॐ ऋगमंडलाय नम:,
– ॐ सवित्रे नम:,
– ॐ वरुणाय नम:,
– ॐ सप्तसप्त्ये नम:,
– ॐ मार्तण्डाय नम:,
– ॐ विष्णवे नम:
– ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।
– ॐ घृणि सूर्याय नम:।
– ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:
– ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
– ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।
– ॐ घृणि: सूर्यादित्योम।

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