नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला का वैवाहिक विवाद दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी पत्नी पायल अब्दुल्ला के वकील ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के लिए सहमति नहीं दी है। ऐसे में उमर अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ रुख किया है। याचिका के जरिए उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के सात अप्रैल के उस सर्कुलर को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया है कि वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जल्दी अंतिम सुनवाई के लिए दोनों पक्षों को सहमत होना होगा।
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प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमणियम की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। शुरु में अब्दुल्ला की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वैवाहिक मामले में अन्य पक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जल्द अंतिम सुनवाई के लिए सहमति नहीं दे रहा है। उन्होंने दलील दी कि दूसरा पक्ष सुनवाई अदालत के समक्ष कार्यवाही में उपस्थित हुआ है।
पीठ ने सिब्बल से कहा कि क्या हम किसी को सहमति देने के लिए मजबूर कर सकते हैं?’ मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 26 अप्रैल, 2020 के परिपत्र को चुनौती देने वाली अब्दुल्ला की याचिका को पिछले साल तीन नवंबर को खारिज कर दिया था। उमर ने दलील दी थी कि सुनवाई अदालत के 2016 के एक आदेश के खिलाफ उनकी विवाह संबंधी अपील फरवरी 2017 से अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं हुई है।
सुनवाई अदालत ने उनकी तलाक याचिका को खारिज कर दिया था। कोविड-19 महामारी के मद्देजनर अदालतों के सीमित कामकाज के दौरान इस पर सुनवाई नहीं हो सकी क्योंकि उनकी अलग हो चुकीं पत्नी पायल अब्दुल्ला ने डिजिटल कार्यवाही के लिए सहमति नहीं दी। अब्दुल्ला ने दलील दी कि अलग हो चुकीं अपनी पत्नी की ओर से सहयोग नहीं मिलने के कारण मामले में देरी हो रही है।
हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर कोई राहत देने नहीं थी कि अलग हो चुकीं पत्नी से सहयोग नहीं मिलना अदालत के पिछले साल के 26 अप्रैल के आदेश को चुनौती देने के लिए आधार नहीं है।