दिवाली कार्तिक अमावस्या तिथि पर मनायी जाती है। दिवाली पर धन की देवी मां लक्ष्मी दिवाली वाले दिन व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों के बही खाते, तराजू व बांट की पूजा करते हैं। इस दिन गणेश-लक्ष्मी की पूजा के साथ धन के देवता कुबेर व अपने बहीखातों की पूजा करना शुभ होता है। दिवाली के दिन से व्यापारियों का नया साल शुरू होता है। इसीलिए बहीखाता पूजन का बड़ा महत्व होता है। दिवाली वाले दिन दीप जलाना भी शुभ होता है। बहीखातों की पूजा करने से माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और उस घर में कभी दरिद्रता नहीं आती है।
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
लाभ मुहूर्त- सुबह 11 :50 से दोपहर 1 :12 बजे तक।
अमृत मुहूर्त- दाेपहर 1 :12 बजे से दोपहर 2 :34 बजे तक।
शुभ मुहूर्त- दोपहर 3 :56 से शाम 5 :18 बजे तक
कुंभ लग्न- दोपहर 1:24 बजे से दोपहर 2:53 बजे तक (स्थिर लग्न)
प्रदोष काल – शाम 5:21 बजे से शाम 7:57 बजे तक
वृषभ लग्न- शाम 5:57 – शाम 7:53 बजे(घर में पूजा हेतु)
सिंह लग्न- रात्रि 12:27बजे से रात्रि 2: 42 बजे तक ( ईष्ट साधना सिद्धि के लिए )
महानिशिथ काल- रात्रि 11:24 बजे से 12:16 बजे तक (काली पूजा तथा तांत्रिक पूजा के लिए )
बही खाता पूजन की विधि
बही खातों की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए। नवीन खाता पुस्तकों में लाल चंदन या कुमकुम से स्वास्तिक का चिह्न बनाना चाहिए। इसके बाद स्वास्तिक के ऊपर श्री गणेशाय नमः लिखना चाहिए। इसके साथ ही एक नई थैली लेकर उसमें हल्दी की पांच गांठे, कमलगट्ठा, अक्षत, दुर्गा, धनिया व दक्षिणा रखकर, थैली में भी स्वास्तिक का चिन्ह लगाकर सरस्वती मां का स्मरण करना चाहिए।