अयोध्या। रामगरी में स्थित भगवान रामलला (Ramlala) को बालक रूप में मानकर राम जन्मभूमि परिसर में पुजारी सेवा करते हैं। आज एकादशी का मौका है ऐसे में रामलला को फलाहार का भोग लगेगा।
यूं तो रामलला (Ramlala) को दिन भर में तीन बार भोग लगाया जाता है, पहला बाल भोग सुबह श्रृंगार के बाद रामलला के पट जब आम भक्तों के लिए खुलते हैं उससे पहले उन्हें बाल भोग कराया जाता है। दोपहर में राजभोग के बाद पट बंद होते हैं। जो दोपहर में 2:00 बजे खुलते हैं और फिर रात्रि में संध्या भोग लगाया जाता है
बाल भोग में रामलला (Ramlala) को पेड़ा और पंचमेवा का भोग लगाया जाएगा तो वही दोपहर में रामलला को पकौड़ी हलवा दही और मौसमी फल आम का भोग समर्पित किया जाएगा। एकादशी के मौके पर भगवान शाम को भी फलहार ही करेंगे। उन्हें शाम को सिंघाड़े के आटे का हलवा फ़लारी सब्जी और मिष्ठान फल का भोग लगाया जाएगा।
एकादशी (Ekadashi) के मौके पर पूरा दिन भगवान को फलाहार का ही भोग अर्पित किया जाएगा। रामलला (Ramlala) के प्रधान पुजारी कहते हैं कि भगवान को फलाहार बहुत पसंद है और एकादशी तिथि सभी तिथियों में सबसे उच्च है। इस दिन फलाहार कर भगवान विष्णु की आराधना करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
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रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि एकादशी के दिन फलाहार का भोग रामलला को लगाया जाता है। बाल भोग में पेड़ा और पंचमेवा का भोग लगता है उसके बाद आरती होती है दोपहर में राजभोग के तौर पर फल का कुट्टू के आटे की पकौड़ी और हलवा का फलारी भोग लगाया जाता है।
उसके बाद दोपहर में शयन के लिए पट बंद किए जाते हैं और फिर संध्या भोग में रामलला को पकौड़ी फल और खीर का भोग लगाकर रात्रि विश्राम के लिए भगवान के कपाट बंद किए जाते हैं।