• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

महाशिवरात्रि पर करें शिव चालीसा का पाठ एवं करें शिव आरती, प्रसन्न हो जाएंगे महादेव

Writer D by Writer D
01/03/2022
in फैशन/शैली
0
Sawan

Shiva

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का पावन पर्व 01 मार्च दिन मंगलवार को है. आज के दिन शिव मंदिरों में देवों के देव महादेव की बेलपत्र, भांग, धतूरा, गंगाजल आदि से पूजा की जाती है. आज के दिन आप भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सच्चे मन से शिव चालीसा का पाठ करें और भगवान शिव जी की आरती करें. इस दो काम से ही महादेव प्रसन्न हो जाएंगे और आपके जीवन को सुख और समृद्धि से भर देंगे. महाशिवरात्रि के अवसर पर आपकी सुविधा के लिए यहां श्री शिव चालीसा (Shiva Chalisa), भगवान शिव की आरती (Shiva Aarti) और कर्पूरगौरं मंत्र (Karpur Gauram Mantra) दिया जा रहा है. इसे पढ़ें और पुण्य लाभ कमाएं.

श्री शिव चालीसा

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

चौपाई

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

दोहा

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥

शिव जी की आरती

जय शिव ओंकारा, ओम जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव…

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव..

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव…

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी॥ ओम जय शिव…

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव…

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ओम जय शिव…

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका॥ ओम जय शिव…

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव…

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥ ओम जय शिव…

कर्पूरगौरं मंत्र

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

Tags: Astrology tipsastrology tips in hindiflowers on shivlinglord shivamahashivratriMahashivratri 2022mahashivratri news
Previous Post

महाशिवरात्री पर चार पहर की पूजा का है महत्व, जानें मुहूर्त और पूजन विधि

Next Post

महाशिवरात्रि पर राशि अनुसार करें शिव पूजा, मिलेगी सुख-समृद्धि

Writer D

Writer D

Related Posts

Nachos
खाना-खजाना

विकेंड पर बनाएं ये स्ट्रीट फूड, सभी को आएगा पसंद

07/11/2025
garlic chicken
खाना-खजाना

ये टेस्टी स्नेक्स बढ़ा देगा आपकी चाय का जायका

07/11/2025
After Shave
फैशन/शैली

हर मौसम में स्किन करेंगी ग्लोइंग, करें इन चीजों का इस्तेमाल

07/11/2025
Snowfall
फैशन/शैली

सर्दियों में लेना है स्नोफॉल का मजा, प्लान करें इन फेमस टूरिस्ट डेस्टिनेशन का ट्रिप

07/11/2025
Phoenix Bird
धर्म

इस जगह लगाएं ये खास तस्वीर, कदम चूमेगी सफलता

07/11/2025
Next Post
shiv

महाशिवरात्रि पर राशि अनुसार करें शिव पूजा, मिलेगी सुख-समृद्धि

यह भी पढ़ें

Bada Mangal

आज है तीसरा बड़ा मंगल, जानें इसका महत्व

31/05/2022
Pakistan

भारत के एक्शन से तिलमिलाया पाकिस्तान, भारतीय सैन्य, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को घोषित किया ‘अवांछनीय व्यक्ति’

24/04/2025

देश में 24 घंटे में आए 18,833 नए केस, 278 की मौत

06/10/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version