नई दिल्ली। सुशांत सिंह राजपूत केस में सीबीआई ने अपनी जांच तेज कर दी है। फॉरेंसिक टीम के साथ सीबीआई ने पूरे सीन को रीक्रिएट किया है। ताकि कोई पुख्ता सबूत उनके हाथ लग सके। इस मामले में सुशांत से जुड़े लोगों से दोबारा पूछताछ कर रही है। इसी बीच सुशांत के एक्टिंग कोच रह चुके राम नरेश दिवाकर ने एक्टर सुशांत को लेकर कई चौंकाने वाला खुलासा किया है।
एक्टिंग कोच ने बताया कि उसकी जिंदगी में बदलाव तब आया जब रिया चक्रवर्ती, सिद्धार्थ पिठानी आए
राम नरेश दिवाकर ने बताया कि ‘सुशांत को मैंने एक्टिंग सीखाई है, लंबे समय तक मैंने उसके साथ काम किया है। हमारी अच्छी बातचीत थी। वह सेट पर नॉर्मल रहता था। बस एक बार मैंने उसे शूटिंग के दौरान काफी गुस्से में देखा था। उस दौरान उसने अपना फोन दीवार पर फेंक कर मारा था। दिवाकर ने आगे बताया कि ‘सुशांत काफी तेज तर्रार था। वह साइंस की बातें करता था। न तो वह उस वक्त डिप्रेशन में था और न ही वह सुसाइड करने वालों में से था। उसकी जिंदगी में बदलाव तब आया जब उसकी दोस्ती रिया चक्रवर्ती, सिद्धार्थ पिठानी से हुई। सुशांत ने जबसे इस गैंग के साथ हैंग आउट करना शुरु किया तभी से हमारी बातचीत बंद हो गई थी।’
लॉकडाउन में ढील के बाद नौकरियों के बढ़े अवसर, करें इंतज़ार
दिवाकर ने यह भी बताया कि ‘सुशांत शिव जी का बहुत बड़ा भक्त था। मैं उसे एक्टिंग सिखा रहा था उल्टा उसने मुझे साइंस सीखा दी थी।’ वहीं आखिर में दीवाकर ने सुशांत की मौत को लेकर एक वाक्या भी कहा कि ‘सर दाल में काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है।’
एम्स के फॉरेंसिक चीफ डॉ. सुधीर गुप्ता से सीबीआई की टीम ने बात की, उठाए सवाल
बता दें कि शुरुआत से ही पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को लेकर उठ रहे सवालों पर एम्स के फॉरेंसिक चीफ डॉ. सुधीर गुप्ता से सीबीआई की टीम ने बात की। इस दौरान सुधीर गुप्ता ने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में टाइम स्टैंप नहीं है। जो काफी हैरान कर देने वाला था । उन्होंने आगे कहा कि मुंबई पुलिस को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर दूसरे कंसलेटेशन भी लेना चाहिए था जो उन लोगों ने जरूरी नहीं समझा।
सभी पहलुओं को देखकर लगता है कि कुछ तो गड़बड़ है
सुशांत की मौत के बाद भी सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे फोन और लैपटॉप फॉरेंसिक लैब में तुरंत नहीं पहुंचाया गया। इतना ही नहीं मौत के बाद भी एक्टर के इलेक्ट्रानिक डिवाइस के साथ छेड़छाड़ की गई है और जांच के लिए डिवाइस फॉरेंसिक लैब पहुंचने में 24 दिनों का वक्त लग गया। इन सभी पहलुओं को देखकर लगता है कि कुछ तो गड़बड़ है।