उत्तर प्रदेश के मौजूदा डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी समेत 21 पुलिस अफसर 30 जून को रिटायर हो जाएंगे। इनमें 9 आईपीएस और 12 पीपीएस अफसर शामिल हैं। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात अरुण कुमार उत्तर प्रदेश के सुपर कॉप कहे जाने वाले अफसरों में हैं। यूपी एसटीएफ की स्थापना कर गैंगस्टर श्रीप्रकाश शुक्ला को ढेर करने वाले अरुण कुमार इस महीने रिटायर हो रहे हैं।
इन 2 अफसरों के बाद आईजी इंटेलीजेंस जेके शुक्ला, आईजी पुलिस मुख्यालय राजेश पांडेय, डीआईजी पीटीसी दिलीप कुमार, डीआईजी पावर कॉर्पोरेशन साधना गोस्वामी और निलंबित डीआईजी दिनेश चंद्र दुबे के साथ एसपी रैंक के अधिकारियों में माधव प्रसाद वर्मा और वीरेंद्र कुमार मिश्रा भी इसी महीने रिटायर हो रहे हैं। प्रांतीय पुलिस सेवा यानी पीपीएस रैंक में 12 अधिकारी रिटायर हो रहे हैं। इसमे एडिशनल एसपी विजिलेंस हर दयाल सिंह के साथ डीएसपी अरुण कुमार, माजिद अब्सार, तेजवीर सिंह यादव, दिग्विजय सिंह, सतीश चंद्र श्रीवास्तव, सुरेश चंद्र गौड़, केदार राम, विनोद कुमार शुक्ला, राम बिलास यादव, उदयवीर सिंह और देव कृष्ण शर्मा शामिल हैं, जो इस महीने की 30 तारीख को रिटायर हो जाएंगे।
डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी के रिटायरमेंट के मौके पर पुलिस लाइन में न तो पारंपरिक विदाई परेड होगी और न कोई अन्य आयोजन। डीजीपी हितेशचंद्र अवस्थी कहते हैं कि वह सादगी के साथ विदा होना चाहते हैं। इसलिए किसी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाएगा।
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ऐसे हुआ था श्रीप्रकाश शुक्ला खात्मा
बता दें कि 23 सितंबर 1998 को एसटीएफ के प्रभारी अरुण कुमार को मिली कि श्रीप्रकाश शुक्ला दिल्ली से गाजियाबाद की तरफ आ रहा है। श्रीप्रकाश शुक्ला की कार जैसे ही वसुंधरा इन्क्लेव पार करती है, अरुण कुमार सहित एसटीएफ की टीम उसका पीछा शुरू कर देती है। उस वक्त श्रीप्रकाश शुक्ला को जरा भी शक नहीं हुआ कि STF उसका पीछा कर रही है।
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उसकी कार जैसे ही इंदिरापुरम के सुनसान इलाके में दाखिल हुई, एसटीएफ की टीम ने अचानक श्रीप्रकाश की कार को ओवरटेक कर उसका रास्ता रोक दिया। श्रीप्रकाश शुक्ला को सरेंडर करने को कहा लेकिन वो नहीं माना और फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस की जवाबी फायरिंग में श्रीप्रकाश शुक्ला मारा गया। इस तरह जुर्म के इस बादशाह की कहानी खत्म हुई। श्रीप्रकाश शुक्ला की मौत के बाद उसका खौफ भले खत्म हो गया था लेकिन जयराम की दुनिया में उसके आज भी चर्चे होते हैं।