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चुनाव ड्यूटी के दौरान मारे गए कर्मियों की आश्रितों को मिले एक करोड़ मुआवजा : HC

High Court

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण की वजह से हुई मौतों के मामले में राज्य सरकार की तरफ से घोषित मुआवजे को नाकाफी बताया है।

कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग और सरकार से मृतक कर्मचारियों के परिजनों को एक-एक करोड़ मुआवजा देने पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि अध्यापकों, शिक्षामित्रों को जबरन चुनावी टास्क पर लगाया गया, जिससे लोगों की मौत हुई। जबकि उनको दिया गया मुआवजा पर्याप्त नहीं है।

यूपी सरकार ने इससे पहले हाईकोर्ट को बताया था कि वह मारे गए कर्मचारियों को 35 लाख रुपये दे रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह राशि बहुत कम है। इसे कम से कम-एक-करोड़ होना चाहिए। कोर्ट ने सरकार व आयोग से पूर्व में घोषित मुआवजे की राशि को वापस लेने को कहा है।

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बता दें कोविड के बढ़ते संक्रमण को लेकर कायम जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हर जिले में 3 सदस्यीय पेन्डेमिक पब्लिक ग्रीवांस कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। जिसमें जिला जज से नामित सीजेएम या न्यायिक मजिस्ट्रेट, मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य द्वारा नामित कोई प्रोफेसर, जहां कालेज न हो वहां लेबल फोर के जिला अस्पताल के किसी अधिकारी या एडीएम रैंक अधिकारी की कमेटी बने। इसे 48 घंटे में गठित करने का निर्देश दिया है। साथ ही मुख्य सचिव को कहा है कि सभी जिलाधिकारियों को कमेटी गठन करने के संबंध में निर्देश जारी करें।

कोर्ट ने राज्य सरकार व सरकारी गैर सरकारी अस्पतालों को निर्देश दिया है कि जो कोविड संदिग्ध मौत होती है तो उसे भी कोरोना से हुई मौत माना जाये। कोई भी अस्पताल संदिग्ध मरीजों को गैर कोविड मरीज न समझे। यदि कोई सर्दी जुकाम से भर्ती हुआ है और रिपोर्ट नहीं आयी है और मौत हो जाती है तो ऐसी मौत को कोरोना मौत माना जाए। बशर्ते कि उसे हार्ट या किडनी की अन्य गंभीर समस्या न हो. कोर्ट ऐसी मौत पर कोविड प्रोटोकॉल का दाह संस्कार में पालन कराने का भी आदेश दिया है।

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वहीं कोरोना मरीजों की खुराक के लिए 100 रूपये तय करने पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा है कि इतने में कोरोना मरीज को पौष्टिक आहार नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने सरकार को मांगी गयी जानकारी न देने पर फटकार लगायी है और अस्पताल में आक्सीजन उत्पादन का व्यौरा मांगा है। कोर्ट ने 19 अप्रैल से 2 मई तक मौतों का आंकड़ा न देने पर खिंचाई की है और कहा कि जिले के नोडल अधिकारियों की रिपोर्ट कुछ और बताती है। अगली तिथि पर इस मुद्दे पर भी सुनवाई होगी। मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होगी। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की खंडपीठ ने ये आदेश दिया है।

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