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सत्ता में रहते हुए संयम और संवेदनशील रहना पड़ता है : पीएम मोदी

Desk by Desk
19/02/2021
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, ख़ास खबर, नई दिल्ली, पश्चिम बंगाल, राजनीति, राष्ट्रीय, शिक्षा
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पीएम मोदी PM Modi

पीएम मोदी

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नई दिल्ली। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के विश्वभारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया।

मेधावी छात्रों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश के युवा में भविष्य को बदलने की शक्ति है। अब आपको तय करना है कि आप समस्या का हल करना चाहते हैं या समस्या का हिस्सा बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता में रहते हुए संवेदनशील रहना जरूरी होता है, ऐसे ही हर विद्वान को जिम्मेदार होना पड़ता है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में जो लोग आतंक फैला रहे हैं उनमें कई शिक्षित लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सफलता-असफलता हमारा भविष्य तय नहीं करती है, लेकिन आपको फैसला लेने में डरना नहीं चाहिए। नई शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत में जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, वह पुरानी बेड़ियों को तोड़ने के साथ ही, विद्यार्थियों को अपना सामर्थ्य दिखाने की पूरी आजादी देती है। उन्होंने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता, देश की बेटियों के आत्मविश्वास के बिना संभव नहीं है।

पीएम मोदी ने कहा कि मेरा आग्रह है, अगले 25 वर्षों के लिए विश्व भारती के विद्यार्थी मिलकर एक विजन डॉक्यूमेंट बनाएं। वर्ष 2047 में, जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष का समारोह मनाएगा, तब तक विश्व भारती के 25 सबसे बड़े लक्ष्य क्या होंगे, ये इस विजन डॉक्यूमेंट में रखे जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत जो है, जो मानवता, जो आत्मीयता, जो विश्व कल्याण की भावना हमारे रक्त के कण-कण में है, उसका एहसास बाकी देशों को कराने के लिए विश्व भारती को देश की शिक्षा संस्थाओं का नेतृत्व करना चाहिए।

इस वर्ष हम अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। विश्व भारती के प्रत्येक विद्यार्थी की तरफ से देश को सबसे बड़ा उपहार होगा कि भारत की छवि को और निखारने के लिए आप ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करें। उन्होंने कहा कि बंगाल ने अतीत में भारत के समृद्ध ज्ञान-विज्ञान को आगे बढ़ाने में देश को नेतृत्व दिया। बंगाल, एक भारत, श्रेष्ठ भारत की प्रेरणा स्थली भी रहा है और कर्मस्थली भी रहा है।

गुरुदेव की विश्व भारती से अपेक्षा थी कि यहां जो सिखने आएगा वो पूरी दुनिया को भारत और भारतीयता की दृष्टि से देखेगा। गुरुदेव का ये मॉडल भ्रम, त्याग और आनंद के मूल्यों से प्रेरित था इसलिए उन्होंने विश्व भारती को सिखने का ऐसा स्थान बनाया जो भारत की समृद्ध धरोहर को आत्मसात करे: PM https://t.co/3oC2KrcQxj

— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 19, 2021

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता, देश की बेटियों के आत्मविश्वास के बिना संभव नहीं है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार जेंडर इन्क्लूजन फंड की भी व्यवस्था की गई है। हाल ही में सरकार ने देश और दुनिया के लाखों जर्नल्स की फ्री एक्सेस अपने स्कॉलर्स को देने का फैसला किया है। इस साल बजट में भी रिसर्च के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से आने वाले 5 साल में 50 हज़ार करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव रखा है।

उन्होंने कहा कि ये शिक्षा नीति आंत्रेप्रेन्योरशिप, सेल्फ इंप्लॉयमेंट को भी बढ़ावा देती है। ये शिक्षा नीति रिसर्च को, इनोवेशन को बढ़ावा देती है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में ये शिक्षा नीति भी एक अहम पड़ाव है। पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत में जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है, वह भी पुरानी बेड़ियों को तोड़ने के साथ ही, विद्यार्थियों को अपना सामर्थ्य दिखाने की पूरी आजादी देती। ये शिक्षा नीति आपको अलग-अलग विषयों को पढ़ने की आजादी देती है। ये शिक्षा नीति, आपको अपनी भाषा में पढ़ने का विकल्प देती है।

गुरुदेव ने विश्वभारती में जो व्यवस्थाएं विकसित कीं, जो पद्धतियां विकसित कीं, वो भारत की शिक्षा व्यवस्था को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करने, उन्हें आधुनिक बनाने का एक माध्यम थीं। इसी पुस्तक में विलियम एडम का भी जिक्र है जिन्होंने ये पाया था कि 1830 में बंगाल और बिहार में एक लाख से ज्यादा विलेज स्कूल्स थे।

भारत पर ब्रिटिश एजुकेशन सिस्टम थोपे जाने से पहले, थॉमस मुनरो ने भारतीय शिक्षा पद्धति और भारतीय शिक्षा व्यवस्था की ताकत देखी थी। उन्होंने देखा था कि हमारी शिक्षा व्यवस्था कितनी वाइब्रेंट है। इस पुस्तक में धरमपाल जी ने थॉमस मुनरो द्वारा किए गए एक राष्ट्रीय शिक्षा सर्वे का ब्योरा दिया है। 1820 में हुए इस शिक्षा सर्वे में कई ऐसी बातें हैं, जो हैरान करती हैं। उस सर्वे में भारत की साक्षरता दर बहुत ऊंची आंकी गई थी।

आज महान गांधीवादी धरमपाल जी की जन्म जयंती भी है। उनकी एक रचना है- द ब्यूटीफुल ट्री- इंडिजिनस इंडियन एजुकेशन इन द एटिंथ सेंचुरी। आज आपसे बात करते हुए मैं इसका जिक्र भी करना चाहता हूं। अगर आपकी नीयत साफ है और निष्ठा मां भारती के प्रति है, तो आपका हर निर्णय किसी न किसी समाधान की तरफ ही बढ़ेगा। सफलता और असफलता हमारा वर्तमान और भविष्य तय नहीं करती। हो सकता है आपको किसी फैसले के बाद जैसा सोचा था वैसा परिणाम न मिले, लेकिन आपको फैसला लेने में डरना नहीं चाहिए।

The New Education Policy will gallop our journey to becoming 'Vishwa-guru'. The policy is turning out to be a gamechanger in much needed education reforms: West Bengal Governor Jagdeep Dhankhar at the convocation ceremony of Visva-Bharati University pic.twitter.com/KdsoPBSSvv

— ANI (@ANI) February 19, 2021

ये सिर्फ विचारधारा का प्रश्न नहीं है, बल्कि माइंडसेट का भी विषय है। आप क्या करते हैं, ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपका माइंडसेट पॉजिटिव है या नेगेटिव है। आप देखिए, जो दुनिया में आतंक फैला रहे हैं, जो दुनिया में हिंसा फैला रहे हैं, उनमें भी कई हाइली लर्न्ड, हाइली स्किल्ड लोग हैं। दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं जो कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से दुनिया को मुक्ति दिलाने के लिए दिनरात प्रयोगशालाओं में जुटे हुए हैं।

आपका ज्ञान, आपकी स्किल, एक समाज को, एक राष्ट्र को गौरवान्वित भी कर सकती है और वो समाज को बदनामी और बर्बादी के अंधकार में भी धकेल सकती है। इतिहास और वर्तमान में ऐसे अनेक उदाहरण हैं। जिस प्रकार, सत्ता में रहते हुए संयम और संवेदनशील रहना पड़ता है, उसी प्रकार हर विद्वान को, हर जानकार को भी उनके प्रति ज़िम्मेदार रहना पड़ता है जिनके पास वो शक्ति नहीं है। आपका ज्ञान सिर्फ आपका नहीं बल्कि समाज की, देश की धरोहर है।

आपको ये भी हमेशा याद रखना होगा कि ज्ञान, विचार और स्किल, स्थिर नहीं है, ये सतत चलने वाली प्रक्रिया है। और इसमें कोर्स करेक्शन की गुंजाइश भी हमेशा रहेगी। लेकिन नॉलेज और पावर, दोनों रिस्पॉन्सिबिलिटी के साथ आते हैं।

विश्व भारती तो अपने आप में ज्ञान का वो उन्मुक्त समंदर है, जिसकी नींव ही अनुभव आधारित शिक्षा के लिए रखी गई। ज्ञान की, क्रिएटिविटी की कोई सीमा नहीं होती, इसी सोच के साथ गुरुदेव ने इस महान विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। जब आप अपने कैंपस में बुधवार को ‘उपासना’ के लिए जुटते हैं, तो स्वयं से ही साक्षात्कार करते हैं। जब आप गुरुदेव द्वारा शुरू किए गए समारोहों में जुटते हैं, तो स्वयं से ही साक्षात्कार करते हैं।

गुरुदेव कहते थे- हे श्रमिक साथियों, जानकर साथियों, हे समाजसेवियों, हे संतों, समाज के सभी जागरूक साथियों। आइये समाज की मुक्ति के लिए मिलकर प्रयास करें। गुरुदेव टैगोर ने जो एकता का संदेश दिया, उसे कभी ना भूलें। गुरुदेव ने इस विश्वविद्यालय में भारत की आत्मा को जिंदा रखा और उसकी पहचान को आगे बढ़ाया। गुरुदेव टैगोर के लिए विश्व भारती सिर्फ ज्ञान देने वाली एक संस्था मात्र नहीं थी। ये एक प्रयास है भारतीय संस्कृति के शीर्षस्थ लक्ष्य तक पहुंचने का।

आप सिर्फ एक विश्वविद्यालय का ही हिस्सा नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा का हिस्सा भी हैं। गुरुदेव अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते, तो वो इसे ग्लोबल यूनिवर्सिटी या कोई और नाम दे सकते थे, लेकिन उन्होंने इसे विश्व भारती विश्वविद्यालय नाम दिया।

इस बार तो कुछ समय के अंतराल पर मुझे दूसरी बार ये मौका मिला है। आपके जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी युवा साथियों को, माता पिता को और गुरुजनों को मैं बहुत बहुत बधाई और अनेक अनेक शुभकामनाएं देता हूं। आज एक और बहुत ही पावन अवसर है, बहुत ही प्रेरणा का दिन है। आज छत्रपति शिवाजी की जन्म जयंती है। मैं सभी देशवासियों को छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर ने जो अद्भुत धरोहर मां भारती को सौंपी हैं, उसका हिस्सा बनना, आप सभी साथियों से जुड़ना, मेरे लिए प्रेरक भी है और आनंददायक भी है। विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि नई शिक्षा नीति ‘विश्व-गुरु’ बनने की हमारी यात्रा को पूरा कर देगी। नीतियां बहुत जरूरी शिक्षा सुधारों को एक गेमचेंजर के तौर पर बदल रही हैं।’

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