गौतमबुद्धनगर (नोएडा) जेल के नवनियुक्त अधीक्षक का एक अजब- गजब कारनामा सामने आया है। जहां एक जैसे ही गलती के लिए दो अलग-अलग कार्रवाई हुई।
कौशाम्बी जेल में तैनाती के दौरान प्रभारी अधीक्षक ने नियमों को दरकिनार कर एक बंदी के घर जाकर वैवाहिक समारोह में शामिल हुए तो कोई कार्यवाही नही हुई, वही नोएडा जेल पर तैनात बंदीरक्षक को सिर्फ इसलिए निलंबित कर दिया गया कि उसकी जेल चौकी पर तैनात दरोगा ने शिकायत कर दी कि वह रिहा हुए एक बंदी को घर छोड़ने गया था। प्रभारी अधीक्षक व बंदीरक्षक की एक जैसी गलती ने जेल प्रशासन कि कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। इसको लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। चर्चा है नियम तोड़ने पर अधिकारी को शोहरत मिली तो सिपाही को निलंबन।
सूत्रों के मुताबिक जेल मैनुअल के प्रस्तर-1094 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जेल के अधिकारी व कर्मचारी जेल में बंद किसी भी कैदी, उसके रिश्तेदारों, मित्रो से जेल के बाहर किसी प्रकार का कोई संबंध नही रखेंगे। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि वह किसी भी कैदी, कैदी के परिजन व रिश्तेदार के घरों की यात्रा नही करेंगे।
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सूत्र बताते है कि नोएडा जेल के नवागंतुक अधीक्षक ने यह नियम अपने पर लागू नही किया। बताया गया है कि कौशाम्बी जेल में तैनाती के दौरान प्रभारी अधीक्षक ने जेल में बंद एक बंदी के घर जाकर वैवाहिक समारोह में हिस्सा लिया। यह खबर अखबारों में सुर्खियां भी बनी। फेसबुक पर उन्होंने इसको अपने मित्रों के साथ शेयर भी किया।
सूत्र का कहना है कि नवनियुक्त जेल अधीक्षक ने नोएडा जेल मे तैनात एक बंदीरक्षक को इसलिए निलंबित करवा दिया गया कि जेल चौकी पर तैनात एक दारोगा ने यह शिकायत की थी कि उसने जेल से रिहा हुए एक बंदी को गाड़ी से घर पहुचा दिया। प्रभारी जेल अधीक्षक के बन्दी के घर जाने पर कोई कार्यवाही नही की गई वही बंदीरक्षक को निलंबित कर दिया गया। जबकि जेल मैनुअल के प्रस्तर-1094 का उल्लंघन दोनों ने है किया। कार्यवाही के इस दोहरे मापदंड ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। उधर इस संबंध में नोएडा जेल अधीक्षक भीमसेन मुकुंद से काफी प्रयास के बात भी संपर्क नही हो पाया।