विश्व सर्प जागरुकता दिवस 11 अप्रैल विशेष
इटावा। राज्य आपदा का गंभीर विषय होने के पश्चात अब सामुदायिक रूप से सर्पदंश (Snake Bite) के प्रति लोगों में जागरूकता होना अति आवश्यक हो गया है क्यों कि, सर्पदंश से पीड़ित लोग सही समय पर सही इलाज न मिल पाने से असमय ही मौत के मुँह में चले जाते है। इसीलिए प्रत्येक वर्ष 11 अप्रैल को इसी जनजागरूकता के सन्दर्भ में विश्व सर्प जागरूकता (Snake Awarness Day) दिवस मनाया जाता है यह कहना है, जिला अस्पताल के स्नेक बाइट स्पेशलिस्ट डॉ महेंद्र का।
डॉ महेंद्र ने बताया कि सामान्यतः देखा जाता है जब भी सर्पदंश जैसी घटना घटित होती है तो अक्सर ही लोग घबरा जाते हैं क्योंकि वह जागरूक ही नहीं होते इसलिए जब कभी भी सांप (Snake) काट ले तो उस पीड़ित को प्राथमिक उपचार के लिए बिना देरी किए जिला अस्पताल लेकर आए। हमारे जिला चिकित्सालय में सर्पदंश के उपचार की पर्याप्त व्यवस्था मौजूद है। एंटीस्नेक वेनम जो सांप के काटने पर लगाई जाती है वह पर्याप्त मात्रा में जिला अस्पताल में उपलब्ध है और सर्प दंश का इलाज बिल्कुल निःशुल्क होता है।
डॉ महेंद्र ने बताया कि जब किसी व्यक्ति को कोई जहरीला सांप काटता है तो उसमे प्रमुखता से 4 लक्षण अक्सर प्रकट हो हैं उत्तरोत्तर बढ़ती कमजोरी, आन्तरिक रक्त स्त्राव के साथ पेशीय ऐंठन और सूजन। बस ध्यान रखें कि, सांप काटे व्यक्ति को मानसिक रूप से कभी भी अस्थिर न होने दें। झाड़-फूंक तो बिल्कुल न कराएं ।जितनी जल्दी हो सके जनपद के जिला अस्पताल लेकर आएं। डॉ महेंद्र ने बताया अब तक जिला अस्पताल में कई सर्पदंश के मरीजों का किया जा चुका है इलाज और सर्पदंश से उपचार के बाद लोग स्वस्थ्य भी हुये है।
आइये जानते है कि आखिर यह विश्व सर्प जागरूकता दिवस क्या है?
विश्व सर्प जागरूकता दिवस प्रत्येक वर्ष 11 अप्रैल को मनाया जाता है जिसका कि,मुख्य उद्देश्य आम भारतीय जनमानस को असमय ही होने वाले सर्पदंश से बचाना है साथ ही उनको सर्पदंश होने के तुरन्त बाद की सही इलाज की समुचित जानकारी उपलब्ध कराना है। साथ ही हमारे आस पास के विषधारी व विषहीन सर्पों की सरलता से पहचान कराने के साथ ही प्रकृति में उनकी उपयोगिता व महत्व को भी लोगों को समझाते हुये लोगों का सर्पों के प्रति घृणित व्यवहार व समाज मे सर्पों से जुड़े फैले बेबुनियाद अंधविश्वास को दूर करने के साथ समाज मे सर्पदंश से होने वाली मृत्यु दर को भी घटा देना है।
इसी क्रम में जनपद इटावा में मिशन स्नेक बाइट डेथ फ्री इंडिया के यूपी कोर्डिनेटर डॉ आशीष त्रिपाठी सर्पमित्र की भूमिका में सर्पदंश के प्रति लोगों को लगातार जागरूक कर रहे हैं। डॉ आशीष ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से मैं लोगों के बीच जाकर उनको सर्पदंश से बचाव के तरीके बताने के साथ समाज में सही इलाज के प्रति जागरूकता लाने के लिए निरंतर ही प्रयासरत हूं।
उन्होंने बताया कि, केवल बिग फोर प्रजाति को छोड़कर लगभग 95% सांप ऐसे होते हैं जिनके काटने से किसी भी तरह का कोई प्रतिकूल प्रभाव हमारे शरीर पर नहीं पड़ता है। यह डर दूर करने के लिये लोगों को अब सर्पदंश के प्रति जागरूक करना बहुत ही आवश्यक है क्यों कि, ज्यादातर मौत जहर की जगह घबराहट व हृदयगति रुकने से हो जाती है। अतः किसी जहरीले सांप के काटने पर सावधानी रखना भी बेहद जरूरी है। इसलिए जहां भी कभी सर्प दंश हुआ हो वहां अंगूठी कढा़ ,घड़ी,बिछिया, पायल या कोई कसा हुआ धागा बिल्कुल हटा दें।
मरीज के कपड़े भी ढीले कर दे, मुंह से उसके घाव को चूसने का प्रयास बिल्कुल भी न करें, न ही चाकू से उसे जलाएं न ब्लेड से काटने की कोशिश करें। क्योंकि ज्यादा रक्तस्राव से भी रोगी की असमय मृत्यु हो सकती है। उन्होंने बताया कि जिस अंग पर सांप ने काटा है उस अंग को ज्यादा हिलाएं-डुलाएं नहीं। रोगी को सांप के काटने पर किसी प्रशिक्षित चिकित्सक की देखरेख में ही समुचित इलाज कराएं किसी भी तरह की झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़े।
जनपद के वन्यजीव विशेषज्ञ सर्पमित्र डॉ आशीष ने बताया उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में सर्पदंश राज्य आपदा घोषित हो चुका है। साथ ही सरकार द्वारा शासनादेश भी जारी कर समस्त मण्डलायुक्तों/ जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि, सर्पदंश के मृतक के आश्रितों को नियमानुसार 7 दिन के अन्दर ही अहेतुक सहायता अवश्य उपलब्ध कराई जाए।