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यूपी में पंचायत चुनाव लड़ना है, तो दो ही बच्चे अच्छे

यूपी में पंचायत चुनाव

यूपी में पंचायत चुनाव

लखनऊ । उत्तर प्रदेश की योगी सरकार दो से ज्यादा बच्चे होने पर पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जा सकती है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेना है।

खुद पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी इसके पक्षधर बताए जा रहे हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान समेत कुछ अन्य नेता मुख्यमंत्री को इस संबंध में पत्र लिख चुके हैं। जनसंख्या नियंत्रण कानून को भाजपा के वैचारिक व सियासी एजेंडे का हिस्सा माना जाता है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग टू चाइल्ड पॉलिसी बनाने की कवायद भी कर रहा है।

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वहीं प्रदेश के पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस संबंध में सुझाव दे चुके हैं। जबकि केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान ने 11 जुलाई को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दो से ज्यादा बच्चों वालों के पंचातीराज चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की थी।

डॉ. बालियान ने बताया कि प्रदेश में 25 से 30 लाख लोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ते हैं। यदि चुनाव लड़ने के लिए ऐसे लोगों को अयोग्य घोषित किया जाएगा तो जनसंख्या नियंत्रण को प्रोत्साहन मिलेगा। लिहाजा उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनाव में इसकी पहल की जाए। व

प्रदेश में पंचायतीराज एक्ट में करना होगा संशोधन 

प्रदेश में पंचायती चुनाव अक्तूबर से दिसंबर के बीच प्रस्तावित थे,लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते पंचायती चुनाव की तैयारियां नहीं हो पाई हैं। इसलिए चुनावों का टलना तय है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि अब अगले साल फरवरी से मई के बीच चुनाव हो सकते हैं। इनमें दो से ज्यादा बच्चों वालों के चुनाव लड़ने पर रोक सकती है। इसके लिए उत्तर प्रदेश पंचायतीराज एक्ट में संशोधन करना पड़ेगा। कानून राय लेने के बाद राज्य सरकार इस दिशा में आगे बढ़ सकती है।

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न्यूनतम शैक्षिक योग्यता पर भी विचार  

दो बच्चों तक की अनिवार्यता के साथ ही पंचायती जनप्रतिनिधियों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता निर्धारित करने का भी सुझाव दिया गया है। कुछ राज्यों ने इसकी शुरुआत की है। इस मुद्दे पर भी भाजपा और प्रदेश सरकार के स्तर पर विचार किया जा सकता है।

यही नहीं ऐसी भी खबर है कि नई नीति के तहत सरकारी योजनाओं का लाभ देने में उन्हीं दम्पति को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनके दो या उससे कम बच्चे होंगे। प्रस्तावित जनसंख्या नीति को सरकारी नौकरियों से भी जोड़ने पर विचार चल रहा है। यह नीति भर्ती से लेकर प्रोन्नति के मामलों मे भी लागू रहेगी। इस साल होने वाले पंचायत और उसके बाद स्थानीय निकाय चुनावों से पहले ही नई जनसंख्या नीति बन जाने की संभावना है। नीति को सबसे पहले पंचायत चुनावों में लागू किया जा सकता है।

केंद्र सरकार ने साल 2025 तक सकल प्रजनन दर 2.1 तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अभी तक शहरी आबादी में तो सकल प्रजनन दर 2.1 है। यह शहरी लोगों की खुद की जागरूकता के कारण दर बनी है। लेकिन ग्रामीण आबादी में यही दर 3 तक पहुंच चुकी है। ऐसे में सरकार का फोकस ग्रामीण आबादी पर ज्यादा रहेगा। एक जानकारी के मुताबिक मौजूदा समय में प्रदेश की जनसंख्या 22 करोड़ से अधिक है। प्रदेश की आबादी हर 10 साल में 20 फीसदी बढ़ रही है।

इन राज्यों में पहले से लागू है कानून

उत्तराखंड, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, हरियाणा, उड़ीसा, हिमांचल प्रदेश व मध्य प्रदेश में पहले से ही दो से अधिक बच्चे वाले दम्पत्तियों के पंचायत व निकाय चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लागू है। यूपी समेत कुछ अन्य राज्य भी इस राह पर अग्रसर हैं।

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