देहारादून। जो बोले सो निहाल… के जयकारों के साथ श्री हेमकुंड साहिब (Hemkund Sahib) के कपाट रविवार को सुबह दस बजे विधि विधान से खोल दिए गए। पंच प्यारों की अगुवाई में पांच हजार श्रद्धालु इस क्षण के साक्षी बने। करीब नौ बजे पंच प्यारों के अगुवाई में गुरुग्रंथ साहिब को दरबार साहिब में लाया गया।
रविवार सुबह दस बजे पंच प्यारों की अगुवाई ने पांच हजार श्रद्धालुओं ने हेमकुंड साहिब (Hemkund Sahib) में मत्था टेका। पवित्र सरोवर में श्रद्धालुओं ने स्नान किया। पंच प्यारों की अगुवाई में गोविंदघाट गुरुद्वारे से पांच हजार तीर्थयात्रियों का पहला जत्था शनिवार दोपहर घांघरिया पहुंचा था। गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब (Hemkund Sahib) मैनेजमेंट ट्रस्ट के साथ ही जिला प्रशासन की ओर से हेमकुंड साहिब, घांघरिया व अन्य यात्रा पड़ावों में सभी यात्रा तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया।
हेमकुंड साहिब (Hemkund Sahib) के कपाट खुलने की प्रक्रिया सुबह साढ़े नौ बजे से शुरू हुई। गुरुग्रंथ साहिब को सचखंड से लाकर दरबार साहिब में रखा गया। इसके बाद सुबह 10 बजे सुखमणि का पाठ हुआ। इसके बाद हेमकुंड साहिब के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए। शबद कीर्तन के बाद दोपहर में 12:30 बजे हेमकुंड साहिब में इस साल की पहली अरदास होगी।
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शनिवार को गोविंदघाट गुरुद्वारे में सुबह करीब नौ बजे पंजाब से पहुंचे बैंड की धुनों के साथ पंच प्यारों की अगुवाई में जो बोले सो निहाल के जयघोष के साथ श्रद्धालुओं ने अलकनंदा के जल का आचमन किया गया। इसके बाद तीर्थयात्रियों का जत्था हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हुआ। हेमकुंड साहिब ट्रस्ट के उपाध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने यहां गुरुद्वारे में पंज प्यारों और तीर्थयात्रियों को दुपट्टा भेंट कर घांघरिया के लिए रवाना किया गया।
हेमकुंड टस्ट के उपाध्यक्ष नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि कोरोना के दो साल बाद हेमकुंड साहिब की तीर्थयात्रा शुरू हो गई है। एक दिन में पांच हजार तीर्थयात्रियों को ही हेमकुंड साहिब जाने की अनुमति दी जाएगी। गोविंदघाट में चिकित्सकों के परामर्श के बाद ही तीर्थयात्रियों को हेमकुंड साहिब जाने की अनुमति दी जाएगी।