केन्द्र सरकार की निजीकरण की नीतियों का विरोध, बिजली निगमों का एकीकरण कराने तथा पुरानी पेन्शन की बहाली समेत अन्य समस्याओं को लेकर देश के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर एवं अभियन्ता बुधवार को कार्य बहिष्कार करेंगे।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने एनसीसीओईईई के आह्वान पर केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध में एवं बिजली कर्मियों की ज्वलंत समस्याओं के समाधान के लिये तीन फरवरी को प्रदेश में सांकेतिक कार्य बहिष्कार करेगें। कार्य बहिष्कार के दौरान सभी जिलों और परियोजनाओं पर विरोध सभा की जायेगी। राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन मुख्यालय पर विरोध सभा मध्याह्न 12 बजे से अपराह्न तीन बजे तक होगी। उत्पादन, पारेषण और सिस्टम ऑपरेशन में पाली में कार्य करने वाले कर्मी सांकेतिक कार्य बहिष्कार से अलग रहेंगे।
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संघर्ष समिति के पदाधिकारी प्रभात सिंह ने बताया कि निजीकरण का प्रयोग उड़ीसा, ग्रेटर नोएडा और आगरा में बुरी तरह विफल हो चुका है फिर भी केंद्र सरकार ने बिजली के निजीकरण के लिये इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेट) बिल 2020 एवं स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी किया है जिससे देश भर के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है।
केंद्र सरकार के निर्देश पर केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़ और पांडिचेरी में बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया तीव्र गति से चल रही है जिसके विरोध में उत्तर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता कल देश के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ एक दिवसीय सांकेतिक कार्य बहिष्कार करेंगे।
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उन्होंने बताया कि बिजली कर्मचारियों की प्रमुख मांगे इलेक्ट्रीसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 व स्टैन्डर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट वापस लेना, निजीकरण की केन्द्र शासित प्रदेशों चण्डीगड़ व पुडुचेरी व किसी भी प्रान्त में चल रही निजीकरण की सारी प्रक्रिया निरस्त करना, ग्रेटर नोएडा का निजीकरण व आगरा फ्रेंचाइजी का करार समाप्त करना, सभी ऊर्जा निगमों को एकीकृत कर उत्पादन, पारेषण व वितरण को एक साथ रखते हुए यूपीएसईबी लिमिटेड का गठन करना, सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल करना, नियमित पदों पर नियमित भर्ती किया जाना, सभी रिक्त पदों विशेषतया क्लास तीन और क्लास चार के रिक्त पदों को प्राथमिकता पर भरना, तेलंगाना की तरह संविदा कर्मचारियों को नियमित करना और सभी संवर्ग की वेतन विसंगतियां दूर करना और तीन पदोन्नत पद का समय बद्ध वेतनमान प्रदान करना हैं।