लखनऊ। योगी 2.0 (Yogi government) में प्रदेश की नदियों को अविरल और निर्मल बनाने में नामामि गंगे परियोजना (Namami Ganga) कई नये आयाम शुरू करने जा रही है। विलुप्त हो चुके कुंओं को जिंदा करके रिर्चाजिंग वेल के रूप में विकसित करने और तालाबों को पुनर्जीवित कर उनके किनारे ग्राम वन स्थापित किये जाने की योजना बनाई गई है।
गोमती नदी की 22 में से सूख चुकीं 19 सहायक नदियों को भी नया जीवन देना इसमें शामिल है। लोगों को जागरूक करने और नदियों का पुनजीर्वित करने के इस अभियान में लोक भारती और नेहरू युवा केन्द्र जैसी सामाजिक और सरकारी संस्थाएं साथ में आ गई हैं। छह अप्रैल से शुरू होने वाला यह अभियान प्रदेश भर में तीन मई तक चलेगा।
जल ही जीवन है, जल है तो कल है
जल ही जीवन है, जल है तो कल है। यह हम सब बोलते हैं लेकिन इसके लिए हम कुछ कर नहीं रहे हैं। भूजल निकालने के साधन तो हमने कई बना लिये लेकिन उतना जल धरती को वापस करना भूल गये हैं। इन बातों को संस्थाएं जागरूकता के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का काम करेंगी।
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इतना ही नहीं इस दौरान पीपल, बरगद, पाकड़, गूलर और आम के पेड़ों का नदियों के किनारे लगाने का अभियान भी चलेगा। विलुप्त हो चुके कुंओं को पुनर्जीवित करने और उनको रिचार्जिग वेल में बदलने के लिए कुंओं की सफाई और उनके अंदर बरसात का पानी वापस जा सके इसकी व्यवस्था की जाएगी। तालाबों के किनारे ग्राम वन बनाकर वहां उपयोगी और औषधीय पौधे लगाना भी ग्राम वासियों को सिखाया जाएगा।
नदी एवं जल स्रोत संरक्षण अभियान की शुरुआत
बता दें कि नमामि गंगे विभाग योजना के सहयोग से लोक भारती और नेहरू युवा केन्द्र छह अप्रैल से नदी एवं जल स्रोत संरक्षण अभियान की शुरुआत फतेहपुर से करने जा रहा है। नदियों की स्वच्छता एवं शपथ का कार्यक्रम ओम घाट ब्लाक भिटौरा में किया जाएगा।
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सात अप्रैल को यह आयोजन जल स्त्रोत उत्सव के रूप में लखीमपुर खीरी में कठिना नदी भूईया देव घाट बिहारीपुर में आयोजित किया जाएगा। इसी तरह से प्रदेश भर में विलुप्त हो चुकी नदियों के किनारे बसे गांवों में आयोजन करने की रणनीति तैयार की गई है।