Orion Spacecraft आखिरकार चंद्रमा के चारों तरफ अपनी 25 दिन से ज्यादा की यात्रा पूरी करके धरती पर वापस लौट आया है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के अर्टेमिस-1 (Artemis-1) मिशन अब एक कदम आगे बढ़ गया है. Orion Spacecraft धरती के वायुमंडल से पहले 40 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार थी, वायुमंडल में आते ही 480 किलोमीटर हो गई. वायुमंडल को पार करते समय इसने 2800 डिग्री सेल्सियस का तापमान बर्दाश्त किया. यहां पर उसके हीटशील्ड की जांच की गई.
वायुमंडल पार करने के बाद प्रशांत महासागर से 25 हजार फीट ऊपर स्पेसक्राफ्ट के दो पैराशूट खुले. तब इसकी स्पीड कम होकर 160 किलोमीटर प्रतिघंटा हो गई थी. इसके इसके मुख्य तीन पैराशूट खुले. तब स्पीड कम होकर 32 किलोमीटर प्रतिघंटा हो गई. लैंडिंग के बाद NASA की एक्सप्लोरेशन ग्राउंड सिस्टम और रिकवरी टीम ने ओरियन को नौसेना के एंफिबियस जहाज पर ले गई.
फिलहाल इसे केनेडी स्पेस स्टेशन ले जाया गया है. जहां पर उसकी जांच-पड़ताल होगी. क्योंकि इस स्पेसक्राफ्ट (Orion Spacecraft ) में अंदर एक मैनेक्विन बिठाया गया था. जो कि एक इंसान के आकार का पुतला है. इसपर कई तरह के यंत्र लगे थे. जो शरीर के मानकों को ध्यान में रखकर लगाए गए थे.
नासा ने 16 नवंबर 2022 को अपने तीसरे प्रयास में दुनिया के सबसे बड़े रॉकेट SLS से Orion Spacecraft को अंतरक्षि में रवाना किया था. NASA ने 50 साल बाद चंद्रमा पर अपना कोई मिशन भेजा था. अर्टेमिस-1 मिशन नासा के मंगल मिशन के बाद सबसे जरूरी मिशन है. ओरियन स्पेसक्राफ्ट इंसानों की स्पेस यात्रा के लिए बनाया गया है. इसने अपने इस मिशन में वह दूरी तय की, जो किसी मानवनिर्मित स्पेसक्राफ्ट ने नहीं की. ओरियन स्पेसशिप बिना इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़े इतनी लंबी यात्रा करने वाला पहला अंतरिक्षयान बन गया है.
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Artemis-1 मिशन के दौरान Orion Spacecraft का चंद्रमा की ओर जाना. SLS रॉकेट की लॉन्चिंग भविष्य में होने वाले मून मिशन का लिटमस टेस्ट है. सफलता मिल चुकी है. अब 2024 में अर्टेमिस-2 (Artemis-2) और 2025 में अर्टेमिस-3 (Artemis-3) मिशन भेजा जाएगा. अर्टेमिस-3 में ही एस्ट्रोनॉट्स को चंद्रमा पर भेजा जाएगा. तब तक जरुरत के मुताबिक तकनीके विकसित की जाएंगी.
NASA ने पहली बार इतने बड़े रॉकेट की लॉन्चिंग की थी. SLS रॉकेट जब केनेडी स्पेस स्टेशन से लॉन्च हुआ तब आसपास का इलाका रोशनी में बदल गया था. इस रॉकेट को पांच सेगमेंट वाले बूस्टर्स से लॉन्च किया गया था. जिनमें से चार में RS-25 इंजन लगे थे. ये इंजन बेहद आधुनिक और ताकतवर हैं. इस रॉकेट ने मात्र 90 सेकेंड में वायुमंडल को पार कर लिया था.