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विक्रम मिस्री ईमानदार और मेहनती राजनयिक…, विदेश सचिव के समर्थन में उतरे ओवैसी

Owaisi came out in support of Vikram Misri

Owaisi came out in support of Vikram Misri

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को शाम 5 बजे से सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति बनी है। इस निर्णय को लेकर दोनों देशों के बीच अगली औपचारिक बातचीत 12 मई को डीजीएमओ स्तर पर होनी है। हालांकि, इस बीच विदेश सचिव विक्रम मिस्री (Vikram Misri) को सोशल मीडिया पर सीजफायर को लेकर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा है। हालात इतने बिगड़ गए कि उन्हें अपना एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट प्राइवेट करना पड़ा।

ट्रोलिंग में की गई बेहद अभद्र टिप्पणियां

ट्रोलिंग में की गई टिप्पणियां बेहद अभद्र और व्यक्तिगत थीं, जिनका कोई आधार नहीं था। इसके बाद से कई वरिष्ठ राजनयिकों और नेताओं ने मिसरी के समर्थन में आवाज उठाई है। पूर्व विदेश सचिव निरुपमा मेनन राव ने इस व्यवहार को ‘बेहद शर्मनाक’ बताते हुए कहा कि एक समर्पित राजनयिक और पेशेवर अधिकारी को निशाना बनाना बिल्कुल गलत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा सरकार का निर्णय है, जिसे कार्यपालिका के निर्देश पर अधिकारी लागू करते हैं।

इस जहरीली नफरत को रोकना होगा- पूर्व विदेश सचिव

पूर्व विदेश सचिव निरुपमा मेनन राव ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, इस जहरीली नफरत को रोकना होगा। हमें अपने राजनयिकों के पीछे एकजुट होना चाहिए, उन्हें तोड़ना नहीं चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस प्रकार की ट्रोलिंग शालीनता की हर सीमा को पार कर चुकी है।

मिस्री के बचाव में उतरे ओवैसी

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी विक्रम मिसरी (Vikram Misri) के पक्ष में बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘विक्रम मिस्री एक सभ्य, ईमानदार और मेहनती राजनयिक हैं, जो भारत की सेवा में जुटे हैं। उन्हें सरकार के फैसलों के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।’

अखिलेश यादव ने भी की ट्रोलिंग की निंदा

वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी ट्रोलिंग की निंदा करते हुए लिखा, ऐसे बयान उन ईमानदार अधिकारियों का मनोबल गिराते हैं, जो देश के लिए दिन-रात काम करते हैं। सरकार का निर्णय व्यक्तिगत अधिकारियों का नहीं होता। जो असामाजिक तत्व अधिकारी और उनके परिवार के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

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विक्रम मिसरी (Vikram Misri) देश के उन वरिष्ठ राजनयिकों में गिने जाते हैं, जिन्होंने कई संवेदनशील दौर में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। ऐसे में सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जाना न केवल गैर-जरूरी और दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मर्यादाओं और संवैधानिक संस्थानों के प्रति अनादर को भी दर्शाता है।

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