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कोविड-19 वैक्सीन 15 करोड़ ​डोज दिसंबर माह तक भारत को देगी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी

 

नई दिल्ली। भारत समेत दुनियाभर के तमाम देश इस वक्त कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। इस वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कई देश वैक्सीन बनाने में भी जुटे हैं, लेकिन ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैक्सीन की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। अगर ये वैक्सीन पूरी तरह से सफल हो जाती है, तो इसके 30 करोड़ डोज तैयार किए जाएंगे। इसका आधा हिस्सा यानी 50 फीसदी भारत को मिलेंगे।

लैंसेट ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से विकसित किए जा रहे वैक्सीन के पहले ह्यूमन ट्रायल का डाटा पब्लिश किया है। भारत की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इसकी पार्टनर है। SII के चीफ आदर पूनावाला ने कहा कि दिसंबर तक ऑक्सफोर्ड Covishield AZD1222 की 30 करोड़ डोज बनाने में हम सफल हो जाएंगे। फर्म द्वारा बनाए जाने वाली वैक्सीन में 50 परसेंट भारत को मुहैया कराए जाएंगे।

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पूनावाला ने कहा कि कंपनी ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का तीसरे फेज का ह्यूमन ट्रायल भारत में कराने के लिए परमिशन भी मांग रही है। ताकि बेहतर रिजल्ट आने पर बड़े पैमाने पर डोज बनाए जा सके।

एक चैनल को दिए गए इंटरव्यू में आदर पूनावाला कहते हैं कि हम जो वैक्सीन बनाएंगे, उसका आधा हिस्सा भारत और बाकी का आधा दूसरे देशों को रोटेशन के आधार पर देंगे। हमें समझने की जरूरत है कि हम एक वैश्विक महामारी का सामना कर रहे हैं। ऐसे में दुनियाभर के लोगों का बचाव करना भी जरूरी है। इसके लिए सरकार भी सपोर्ट कर रही है।

वैक्सीन कब तक मिल जाएगी के सवाल पर SII के चीफ ने कहा कि अगर सब कुछ ठीक रहा, तो नंवबर दिसंबर तक वैक्सीन की कुछ डोज बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के लिए 2021 मार्च तक मिल जाएगी। उम्मीद है कि तब तक हम 300-400 मिलियन डोज तैयार कर लेंगे।

पहले किस तरह के मरीजों को वैक्सीन मिलेगी? इस सवाल के जवाब में पूनावाला ने कहा कि ये सरकार को तय करना है। वैसे मेरी राय में वैक्सीन पहले बुजुर्गों, फ्रंटलाइन वॉरियर्स और बच्चों और कमजोर लोगों को मिलनी चाहिए।

ट्रायल में क्या पता चला?

‘द लैंसेट मेडिकल’ जर्नल में छपी एक खबर के मुताबिक, ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने वैक्सीन को 1,077 लोगों पर ट्राई किया है। इन लोगों पर हुए प्रयोग में यह बात सामने आयी है कि वैक्सीन के इंजेक्शन से इन लोगों के शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण हुआ है। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की यह सफलता काफी उम्मीद जगाती है।

जर्नल में छपी एक खबर में कहा गया है कि वैज्ञानिकों ने पाया कि प्रायोगिक कोविड-19 वैक्सीन ने 18 से 55 साल की उम्र के लोगों में डबल इम्यून सिस्टम तैयार किया है।

अब तक तैयार हुई ज्‍यादातर वैक्सीन एंटीबॉडी बनाती हैं। वहीं, ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन एंटीबॉडी के साथ व्‍हाइट ब्लड सेल (Killer T-cell) भी बना रही है। इस शुरुआती सफलता के बाद हजारों लोगों पर इसका परीक्षण किया जा सकेगा। यूनिवर्सिटी की इस वैक्सीन के ट्रायल में ब्रिटेन में 8,000 और ब्राजील व दक्षिण अफ्रीका में 6,000 लोग शामिल किए गए हैं।

ऑक्‍सफोर्ड की वैक्सीन का ब्रिटेन में सबसे पहले इंसानों पर ट्रायल किया गया था. इससे पहले अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की कोरोना वैक्‍सीन अपने पहले ट्रायल में पूरी तरह से सफल रही है।

अगले फेज में 200 से 300 लोगों पर होगा ट्रायल

ह्यूमन ट्रायल के नतीजों की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है। उम्‍मीद की जा रही है कि इसकी आधिकारिक घोषणा बृहस्‍पतिवार को ‘द लैंसेट’ में लेख के जरिये की जाएगी। ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी की इस वैक्‍सीन का ह्यूमन ट्रायल 15 लोगों पर किया गया था। अब करीब 200-300 लोगों पर इसका परीक्षण होगा। ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दावा किया है कि ट्रायल में शामिल लोगों में एंटीबॉडी और व्‍हाइट ब्लड सेल्स (T-Cells) विकसित हुईं। इनकी मदद से मानव शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार हो सकता है।

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