नई दिल्ली। चौंकने वाली बात सामने आई कि जिस ग्रुप को वैक्सीन की कम डोज मिली, वे इसके दो पूरा डोज लेने वाले ग्रुप की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित पाए गए। एस्ट्राजेनेका ने कहा कि जिन्हें कम डोज दी गई, उस ग्रुप में यह 90 फीसद प्रभावी साबित हुई है। जिस ग्रुप में इसके दो फुल डोज दिए गए, वह 62 फीसद प्रभावी हुई। कुल मिलाकर ड्रग निर्माता ने कहा की कोरोना संक्रमण से बचाव में वैक्सीन 70 फीसद प्रभावी है। एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) ने बुधवार को वैक्सीन के विकसित करने के दौरान हुई अपनी गलती को स्वीकार किया है जिसके कारण प्रायोगिक वैक्सीन को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
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जबकि हाल में ही यूनिवर्सिटी व कंपनी ने दावा किया है कि उनकी वैक्सीन के दो शॉट कोरोना वायरस से बचाव में 90 फीसद प्रभावी हैं। दुनिया में महामारी कोविड-19 से जंग जारी है। इससे बचाव के लिए तमाम देशों में चल रहे वैक्सीन का ट्रायल अब अंतिम फेज में है। पहले इस साल के अंत तक वैक्सीन के आने का दावा किया जा रहा था लेकिन अब अगले वर्ष यानि 2021 की पहली और दूसरी तिमाही तक का समय तक इसके आने की बात हो रही है। एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) ने बुधवार को जैसे ही अपने वैक्सीन के विकसित करने के शुरुआती क्रम में हुई गलती को स्वीकार किया, वैसे ही इस पर सवाल उठने शुरू हो गए।
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भारत ने एक करोड़ फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स की लिस्ट बना ली है जिनका वैक्सीन उपलब्ध होते ही सबसे पहले टीकाकरण शुरू कर दिया जाएगा। इस क्रम में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी देश वासियों से वैक्सीन का इंतजार करने की अपील की है और तब तक थैंक्सगिविंग डे जैसे आयोजनों को न मनाने को कहा है। भारत सरकार का अनुमान है कि वैक्सीन (COVID Vaccine) के कुछ गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं, ऐसे में राज्यों को इनसे निपटने के लिए जिला स्तर पर तैयार रहने को कहा है। रॉयटर्स के अनुसार, दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं। यदि इसी तरह से रफ्तार रही तो 5 करोड़ से 6 करोड़ तक पहुंचने में 17 दिन लगेंगे। पिछले सप्ताह से करीब 5 लाख 80 हजार संक्रमण के नए मामले रोजाना आ रहे हैं।