उत्तर प्रदेश में आक्सीजन की किल्लत से बखूबी निपटने का दावा करते हुये सरकार ने कहा है कि प्रदेश में हर घंटे आक्सीजन की आपूर्ति में बढोत्तरी हो रही है।
अधिकृत सूत्रों ने गुरूवार को बताया कि सरकार ऑक्सीजन एक्सप्रेस और हवाई जहाज से खाली कंटेनर भेजकर ऑक्सीजन मंगाने तक ही सीमित नहीं है बल्कि, अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना से लेकर पुराने बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांट को शुरू कराने में भी अहम भूमिका निभा रही है। प्रदेश में हर घंटे ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ रही है। फिलहाल, मेरठ में बंद दो रीफिलिंग प्लांट दुबारा ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू कर दिए हैं और एक नया प्लांट एक सप्ताह में शुरू होने वाला है। गोरखपुर और वाराणसी में बंद ऑक्सीजन प्लांट जल्द दुबारा ऑक्सीजन की आपूर्ति शुरू करेंगे।
उन्होने बताया कि देश में पहली बार उत्तर प्रदेश ने ऑक्सीजन सप्लाई के बेहतर मैनेजमेंट के लिए कंट्रोल रूम से 24 घंटे निगरानी और ऑक्सीजन की बर्बादी रोकने के लिए ऑक्सीजन आडिट की व्यवस्था लागू की है। इसके अलावा कई जिलों में ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर सरकार, सामाजिक संगठन और प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से अनूठी पहल हुई है। मेरठ जिले में कृष्णा एजेंसीज पिछले तीन साल और अग्रवाल गैस पांच साल से बंद थी। ये दोनों रीफिलिंग प्लांट हैं और इनकी क्षमता एक-एक हजार सिलेंडर रोजाना की है। दोनों प्लांटों को शुरू कराने के लिए संबंधित विभागों से एनओसी दी जा चुकी है। स्थानीय प्रशासन और सूक्ष्म एवं लघु उद्योग विभाग के सहयोग से इन्हें दुबारा शुरू करा दिया गया है। इसके अलावा मेरठ में ही एक और नया प्लांट एक सप्ताह में शुरू होने वाला है।
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सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि ऑक्सीजन या ऑक्सीजन सिलेंडर से संबंधित बंद प्लांट को दुबारा शुरू कराने के निर्देश दिए गए हैं। कुछ जगहों पर एक-दो दिन में ऑक्सीजन उत्पादन शुरू भी हो जाएगा। जिलों में ऑक्सीजन की आपूर्ति रोजाना बढ़ाई जा रही है।
आगरा में भारतीय सेना की मदद से एक ऑक्सीजन प्लांट जल्द शुरू होने वाला है। आगरा के खंदौली में एक निजी कम्पनी का ऑक्सीजन प्लांट लग रहा है, लेकिन इसके लिए एक उपकरण इंटरकूलर कॉपर ट्यूब की आवश्यकता थी। इसे अहमदाबाद से लाया जाना था। इसे आगरा एयरफोर्स और आर्मी की मदद से कल रात अहमदाबाद से लाया गया। रात में ही इसका सफलतापूर्वक ट्रायल हुआ। आगरा के डीएम प्रभु एन सिंह ने उम्मीद जताई है कि इससे कल तक डी टाइप के 1000 जंबो सिलेंडर की ऑक्सीजन की आपूर्ति होगी।
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श्री सहगल ने बताया कि वाराणसी के रोहनिया के दरेखू में तीन साल से बंद ऑक्सीजन प्लांट को अधिग्रहित कर दुबारा शुरू कराया जा रहा है। चार मिट्रिक टन क्षमता के इस प्लांट से 24 घंटे में 400 ऑक्सीजन सिलिंडर का उत्पादन रोजाना होगा। जिला प्रशासन की ओर से प्लांट को अधिग्रहित करते हुए हाल ही में संचालित करने के लिए आवेदन मांगे गए थे। पांच आवेदन आए, इसके बाद अन्नपूर्णा इंडस्ट्रियल गैस लिमिटेड प्रहलाद घाट को सौंप दिया गया है। रोहनिया के जगतपुर, देरखू स्थित आस्थाना कामरूप गैस आक्सीजन प्लांट खोला गया था, लेकिन कई कारणों से 2017 में प्लांट बंद हो गया था। प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि दो मई से प्लांट शुरू होने की संभावना है।
गोरखपुर के गीडा सेक्टर-13 में बंद पड़ी शक्ति अन्न्पूर्णा ऑक्सीजन फैक्ट्री को दुबारा शुरू कर दिया गया है। इसके शुरू होने से रोजाना 1500 सिलेण्डर का और उत्पादन हो सकेगा। गोरखपुर प्रशासन प्लांट को शुरू कराने के लिए संचालक की पूरी मदद कर रहा है। साथ ही समस्याओं का निराकरण कराते हुए एनओसी भी दे दी गई है। इससे गोरखपुर में ऑक्सीजन की उपलब्धता और बढ़ जाएगी। अभी गोरखपुर की तीन इकाइयां 2600 सिलेण्डर रोजाना उत्पादन कर रही हैं। चौथा प्लांट शुरू होने के बाद करीब 4100 सिलेंडर रोजाना की आपूर्ति हो सकेगी।
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बहराइच जिला प्रशासन ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अनूठी मिसाल पेश की है। स्थानीय प्रशासन, सरकार और समाजसेवियों की मदद से एक ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया है, जिससे 12 से 15 बेड तक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो रही है। बहराइच के डीएम शंभू कुमार ने बताया कि आपदा प्रबंधन कोष की मदद से मेडिकल कॉलेज में 55 लाख की लागत से एक नया ऑक्सीजन प्लांट लगने जा रहा है। इससे लगातार 24 घंटे में 30 से 40 बेडों को ऑक्सीजन आपूर्ति होगी। साथ ही मेडिकल कॉलेज में दो करोड़ की लागत से एक और ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा रहा है। इसे भी आने वाले चार हफ्तों में शुरु कर दिया जाएगा। इसके अलावा रायफल फंड और पीएम केयर फंड से भी ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाएगा।
प्रयागराज स्थित भारत पंप्स एंड कंप्रेसर्स लिमिटेड (बीपीसीएल) में वर्ष 2012 तक ऑक्सीजन सिलेंडर बनाए जाते थे, लेकिन बाद में यह बंद हो गई। प्रदेश सरकार की पहल के बाद इसे फिर से शुरू कर दिया गया है। बीपीसीएल के गोदाम में पांच सौ पुराने तीन तरह के 88, 75 और 22 किलो वजनी ऑक्सीजन सिलेंडर मिले हैं। इनकी टेस्टिंग, रंगाई और फिनिशिंग का काम शुरू है। टेस्ट कर इन्हें फाइनल टच दिया जा रहा है। कंपनी अगले महीने से तीन हजार से अधिक सिलेंडर की आपूर्ति करेगी। कंपनी दोबारा शुरू होने से आसपास के युवाओं को रोजगार भी मिला है। सरकार ने कंपनी को तीन हजार सिलेंडर का आर्डर भी दे दिया है।